भीख में आजादी वाले बयान पर बिहार में अभिनेत्री कंगना रनौत पर परिवाद
पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया में भी कंगना रनौत पर परिवाद दायर किया गया है। सीजीएम ने परिवाद को जांच के लिए एसीजीएम के न्यायालय में भेजा। वहीं देश के अलग-अलग जगहों पर मामला दायर कर विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
पश्चिम चंपारण (बेतिया), जासं। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बेबाक बयानों का विरोध जारी है। उनके खिलाफ देश में जगह-जगह एफआईआर दर्ज कराए जा रहे हैं। वहीं बिहार के बेतिया में भी उनके खिलाफ परिवाद दायर किया गया है। अधिवक्ता मुराद अली ने अभिनेत्री कंगना रनौत पर 15 अगस्त 1947 में देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए एक परिवाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दायर किया है। मामले की सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश ने आरोपों की जांच के लिए परिवाद को एसीजीएम प्रथम वृजेश कुमार के न्यायालय में भेज दिया । परिवाद में आरोप है कि बीते 12 नवंबर 21 को समाचार पत्रों में खबर छपी थी। जिसमें अभियुक्त कंगना रनौत द्वारा कहा गया है कि 1947 में आजादी नहीं बल्कि भीख मिली थी। असल मायने में जो आजादी 2014 में मिली। इस तरह का बयान देश की आजादी के लिए जान गंवाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। उपरोक्त बयान अपने आप में देश द्रोहात्मक अपराध की श्रेणी में आता है। अभियुक्त का यह बयान भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा यहां अपमान पैदा करने वाला है।
ऐसे में केवल भीख मिलती है, आजादी नहीं
बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस कंगना रनौत इन दिनों आजादी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर काफी चर्चा में बनी हुई हैं। कंगना रनौत ने कहा था कि 1947 में मिली आजादी भीख थी और असली आजादी 2014 में मिली है। इस मामले को लेकर इंटरनेट मीडिए पर भी कुछ लोग काफी सक्रिय हैं। कंगना रनौत से पद्मश्री वापस करने की मांग कर रहे हैं। अब बिहार के पश्चिम चंपारण में भी विरोध शुरू हो गया है। कंगना कई बार अपने बयानों की वजह से विवादों में फंस जाती है। उनका बयान चर्चा को विषय बना रहता है। अब अजादी वाले बयान पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया आ रही है।