पूर्वी चंपारण मेंं सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे कोचिंग संस्थान, बढ़ रहे कोराेना संक्रमित
कोचिंग संस्थान में तय गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। न तो फिजिकल डिस्टेंस के नियम का पालन हो रहा है और न मास्क का उपयोग। ठंड की मौजूदा स्थिति मेंं प्रचंड होते कोरोना स्वरूप के मद्देनजर स्थिति से निपटने के लिए एहतियात बरती जा रही है |
पूर्वी चंपारण, जेएनएन। कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन के बावजूद इसकी धज्जियां उड़ाते हुए जिले में काेचिंग संस्थान खुल रहे हैं। वहीं निजी विद्यालयों को बंद रखने का निर्देश अब भी प्रभावी है। इससे अलग शहर से लेकर गांव तक कोचिंग संस्थान में भीड़ संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहा है। बताया गया कि किसी भी कोचिंग संस्थान में तय गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। न तो फिजिकल डिस्टेंस के नियम का पालन हो रहा है और न मास्क का उपयोग। ठंड की मौजूदा स्थिति मे प्रचंड होते कोरोना स्वरूप के मद्देनजर स्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा लगातार एहतियात बरती जा रही है | हर स्तर पर मुहिम जारी है।
सरकारी शैक्षणिक संस्थानों मे नौंवी से नीचे स्तर के बच्चों के लिए वर्ग संचालन पर मनाही है | लेकिन, जिले में निजी कोचिग संस्थान नन स्टाप बेखौफ चलाये जा रहे है | कोरोना गाइडलाइन से बेखबर कोचिंग संस्थानों से निकलने वाले छात्रों की भीड़ सड़कों पर यू ही देखा जा सकता है। हालिया सरकारी निर्देश के आलोक मे सरकारी विद्यालयों के साथ ही निजी विद्यालयों मे भी नवम वर्ग के नीचे के बच्चों का पढाई बंद कर दिया गया है। लेकिन, दूसरी ओर कोचिंग मे पढाई जारी है, जो कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए जारी गाइडलाइन को धता बताते नजर आ रही है। निजी विद्यालयों के संचालकों की हुई खास बैठक में इसको लेकर सुगबुगाहट देखी गई। संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुशवाहा की मानें तो उत्पन्न स्थिति के कारण विद्यालय संचालकों को दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। एक ओर जहां निजी विद्यालयों में पठन पाठन ठप है। दूसरी ओर कार्यरत शिक्षकों के जीवन निर्वहन के लिए विशेष तौर पर व्यवस्था करनी पड़ रही है। कोचिंग के चलने व विद्यालयों के बंद रहने से छात्र-छात्राओं मे दुविधा की स्थिति है।