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AES in Muzaffarpur: खाली पेट सोने वाले बच्चे हो रहे शिकार, जानिए क्या बरतें सावधानी

एईएस के इलाज के दौरान एक बात यह सामने आई है कि जो बच्चा रात में भूखे पेट सो गए उन पर इसका अटैक ज्यादा हुआ है। जानिए इस बारे में चिक्तिसकों ने क्या दी सलाह।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 07:18 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 07:18 PM (IST)
AES in Muzaffarpur: खाली पेट सोने वाले बच्चे हो रहे शिकार, जानिए क्या बरतें सावधानी
AES in Muzaffarpur: खाली पेट सोने वाले बच्चे हो रहे शिकार, जानिए क्या बरतें सावधानी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी में हर साल बच्चों के लिए काल बनकर आने वाली एईएस यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के इलाज के दौरान एक बात यह सामने आई है कि जो बच्चा रात में भूखे पेट सो गए उन पर इसका अटैक ज्यादा हुआ है। इलाज करने वाले चिकित्सकों का मानना है की खाली पेट सोने वाले बच्चे एईएस का मुख्य आहार बन रहे हैं। एसकेएमसीएच शिशु विभागाध्यक्ष वहीं इस पर शोध करने वाले डॉक्टर गोपाल शंकर साहनी कहते हैं कि इलाज में एक बात यह सामने आ रही है कि जो बच्चे रात में खाली पेट सो गए वे ज्यादा प्रभावित हुए। अगर वह समय पर अस्पताल आ गए तो उसे बचाना आसान होता है। वही विलंब होने पर स्थिति बिगड़ जाती है और मौत तक हो जाती है।

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 केजरीवाल अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार बताते हैं कि गर्मी के साथ आईएस की शुरुआत वह बरसात के साथ इसका समापन होता है। यह स्थिति कई साल से है जो बच्चा शाम में 6:07 बजे बिना खाए सो जाता है। रात भर भूखे पेट रहता है। इससे उसके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है। वैसे बच्चे इसकी जद में ज्यादा आते हैं।

पिछले साल 111 की हुई मौत 

पिछले साल मुजफ्फरपुर में 431 मरीज आए, जिसमें 111 की मौत हो गई थी। इस साल जिले में अब तक 4 बच्चे आए हैं। इसमें सकरा के एक बच्चे की मौत हुई है। सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी सिंह ने कहा कि जागरूकता पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। बच्चे को खाली पेट अगर उसे चमकी बुखार हो तो सीधे अस्पताल लेकर आए। ओझा गुनी के चक्कर में ना पड़े।

भूख मिटाने पर चल रहा मंथन 

सीएसने बताया कि जिलाधिकारी के सुझाव पर रात में प्रभावित प्रखंडों में बच्चों को क्या आहार दिया जाए ताकि वह भूखे पेट ना सोए। इस पर सभी प्रभारी विशेषज्ञ चिकित्सकों की राय ली जा रही है।

इस बारे में सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी सिंह ने कहा कि लॉकडाउन में वीडियो मास्टर ट्रेनर के जरिए प्रशिक्षण दिया गया है। हर जगह आईएस का पर्चा लेकर आशा व आंगनबाड़ी सेविका सहायिका शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोगों को जागरूक कर रही है। आम लोग बच्चे को भूखे पेट ना सोने दे। बीमार होने पर सीधे सरकारी अस्पताल लाए।


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