Acute encephalitis syndrome: एईएस से बचाव के लिए लगेगी चौपाल, जागरूकता बनेगी ढाल
AES in Muzaffarpur कुपोषण बन रहा प्रमुख कारण बच्चों को खाली पेट नहीं सोने व चना-गुड़ देने की कवायद। ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल की समीक्षा के लिए सिविल सर्जन ने बनाई टीम। प्रशासन बचाव को लेकर जनजागरण को ढाल बना रहा है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी के साथ हर वर्ष बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से बचाव की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। प्रशासन बचाव को लेकर जनजागरण को ढाल बना रहा है। मार्च के बाद गांव-गांव में चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा।
मालूम हो कि इस साल एईएस से जिले में 42 बच्चे बीमार हुए। इसमें से सात की मौत हो गई। एसकेएमसीएच में उत्तर बिहार के आठ जिले के 93 बच्चे इलाज को आए। इसमें से 12 की मौत हो गई। एसीएमओ डॉ. विनय कुमार शर्मा ने बताया कि एईएस से बचाव के लिए पिछले साल बेहतर काम हुआ था। उसकी समीक्षा कर एक गाइडलाइन तैयार की जाएगी। जिलाधिकारी की सहमति के बाद प्रदेश मुख्यालय भेजा जाएगा। टीम में सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह, एसीएमओ डॉ. विनय कुमार शर्मा, जिला डाटा प्रबंधक जयशंकर, केयर इंडिया के जिला समन्यवक सौरभ तिवारी शामिल हैं।
अचानक आती बुखार, समय पर निगरानी नहीं होने पर चली जाती जान
एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी के अनुसार, एईएस से पीडि़त बच्चों को बुखार होता है। शरीर में ऐंठन होती है। ऐसी स्थिति में पीडि़त बच्चों को इलाज के लिए देरी के बिना निकटतम पीएचसी या अस्पताल में ले जाना चाहिए। जितनी जल्दी वह अस्पताल पहुंचे जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है। इलाज में देरी हुई तो उसको बचाना मुश्किल होता है।
निमहांस की टीम शोध में कर रही सहयोग
सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि बीमारी की पहचान को लेकर हर स्तर पर शोध चल रही है। एम्स दिल्ली, एम्स पटना, एसकेएमसीएच के चिकित्सक लगातार शोध कर रहे हैं। इस बार राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहांस) की टीम इस पर व्यापक शोध कर रही है। प्रभावित गांव में जाकर वहां के रहन-सहन खान पान के बारे में जानकारी इस साल भी टीम जुटाएगी।
प्रत्येक माह के पहले सोमवार व शनिवार को पंचायत स्तर पर होगा चौपाल का आयोजन
सिविल सर्जन ने बताया कि एईएस को लेकर हर माह के पहले सोमवार व शनिवार को सभी पंचायतों में चौपाल का आयोजन किया जाएगा। चौपाल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एईएस के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे। अप्रैल से पहले हर पीएचसी, एपीएचसी व सदर अस्पताल में एईएस वार्ड को तैयार कर लिया जाएगा। पंचायत में एंबुलेंस के नहीं रहने पर वहां निजी वाहन को टैग कर दिया जाएगा। सभी पीएचसी प्रभारी को तैयारी में जुट जाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जागरूकता ही सही बचाव है। पिछले साल एसकेएमसीएच परिसर में पीकू वार्ड बनने से बच्चों के बचाव में मदद मिली। यहां अब नियमित रूप से बच्चों का इलाज होगा। सीएस ने कहा कि एसीएमओ डॉ. विनय कुमार शर्मा और जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार जागरूकता व इलाज व्यवस्था की निगरानी करेंगे।