Muzaffarpur Shelter home case : बालिका गृह कांड पर सीबीआइ ने जवाब दाखिल करने के लिए मांगा समय
Muzaffarpur Shelter home case आजीवन कारावास की सजा के फैसले को ब्रजेश ठाकुर ने दी है चुनौती। साकेत कोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को सुनाया था फैसला।
नई दिल्ली/ मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Muzaffarpur Shelter home case : बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में दुष्कर्म व यौन उत्पीडऩ के मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की है। सीबीआइ की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने दो सप्ताह का समय दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई एक अक्टूबर को होगी।
जुर्माने को निलंबित करने की मांग
हाई कोर्ट ने सीबीआइ से निचली अदालत द्वारा लगाए गए 32.20 लाख रुपये के जुर्माने को निलंबित करने की मांग पर भी जवाब मांगा है। दोषी ब्रजेश ठाकुर ने उसे दिल्ली की साकेत कोर्ट की तरफ से दोषी ठहराने एवं अंतिम सांस तक के लिए कारावास की सजा सुनाने के 20 जनवरी, 2020 के फैसले को रद करने की मांग की है। ब्रजेश ठाकुर ने याचिका में कहा कि साकेत कोर्ट ने उनके मामले में जल्दबाजी में सुनवाई की और यह उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। उसने यह भी दावा किया कि उसके खिलाफ निचली अदालत ने पक्षपातपूर्ण तरीके से फैसला सुनाया। दुष्कर्म के मामले में पोटेंसी टेस्ट मूलभूत तथ्यों में से एक है, लेकिन बिहार पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी तक ने ब्रजेश का पोटेंसी टेस्ट नहीं कराया। लिहाजा, निचली अदालत का फैसला रद किया जाए।
सात महीने की नियमित सुनवाई
बता दें कि दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सात महीने की नियमित सुनवाई के बाद 20 जनवरी, 2020 को ब्रजेश ठाकुर को पोक्सो के तहत दोषी माना। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर की जिला अदालत से दिल्ली की साकेत कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था। पूरा मामला तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट््यूट ऑफ सोशल साइंसेस ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें आरोप लगाया था कि बालिका गृह में लड़कियों का यौन उत्पीडऩ किया जा रहा है।