ऑटो टीपर खरीद घोटाला में महापौर सुरेश कुमार के विरुद्ध चलेगा मुकदमा, जानिए पूरा मामला Muzaffarpur News
वर्ष 2017 में 50 ऑटो टीपर खरीद में घोटाला की बात आई थी सामने। नगर विकास विभाग ने अभियोजन चलाने की दी स्वीकृति। जल्द सभी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल कर सकता है निगरानी अन्वेषण ब्यूरो
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ऑटो टीपर खरीद घोटाला में नगर निगम के महापौर सुरेश कुमार व तत्कालीन नगर आयुक्त रंगनाथ चौधरी के विरुद्ध भ्रष्टाचार, आपराधिक षडयंत्र व अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की अर्जी पर नगर विकास विभाग के विशेष सचिव संजय कुमार ने महापौर के विरुद्ध अभियोजन चलाने की स्वीकृति दे दी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने तत्कालीन नगर आयुक्त रंगलाल चौधरी के विरुद्ध भी अभियोजन चलाने की स्वीकृति दे दी है।
ब्यूरो ने यह अर्जी 17 जनवरी को नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को भेजा था। अभियोजन चलाने की अनुमति मिलने के बाद निगरानी अन्वेषण ब्यूरो जल्द ही विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर सकती है। महापौर की अग्रिम जमानत की अर्जी फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगा रखी है। जबकि रंगनाथ चौधरी को अग्रिम जमानत मिली हुई है।
इन आरोपितों के विरुद्ध भी मांगी गई थी अभियोजन की स्वीकृति
इसके अलावा तत्कालीन नगर आयुक्त व अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी उनके संबंधित विभागों से अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव से तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से तत्कालीन कनीय अभियंता प्रमोद कुमार सिंह, भरत लाल चौधरी, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव से तत्कालीन सहायक अभियंता नंद किशोर ओझा, महेंद्र सिंह, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव से तत्कालीन कनीय अभियंता मो.क्यामुद्दीन अंसारी व तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बिंदा सिंह के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति की मांगी गई थी। संबंधित विभागों ने इसकी स्वीकृति दी है या नहीं इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है। दसवें आरोपित ऑटो टीपर आपूर्तिकर्ता मौर्या मोटर्स पाटलीपुत्रा के मोहन हिम्मत सिंग्गा को भी इस मामले में आरोपित बनाया गया है। लोक सेवक नहीं होने के कारण उसके विरुद्ध अभियोजन की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
इन धाराओं में चलेगा मुकदमा
महापौर सुरेश कुमार पर शिकंजा कस गया है। उनके विरुद्ध भादवि की धारा 409 (अमानत में खयानत), धारा-467 (धन प्राप्ति के लिए कूट रचना करना), धारा- 471 (पूर्व ज्ञान होने के बाद भी कूट रचित रचना को असली रूप में प्रयोग करना), धारा-468 (छल के प्रयोजन में कूट रचना), धारा-120 बी (आपराधिक षडयंत्र रचना), भ्रष्टाचार की धारा 13 (2) पठित धारा 13 (1) ( सरकारी राशि का दुरुपयोग करना) के तहत मुकदमा चलाने की स्वीकृति मिली है। इन धाराओं में विचारण के बाद दोष सिद्ध होने पर विशेष कोर्ट सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक सजा दे सकती है।
जांच में प्रथमदृष्टया मामला सत्य
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की जांच में प्रथमदृष्टया मामला सत्य पाया गया है। जांचकर्ता निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीएसपी मनोज कुमार ने सभी आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन चलाने के प्रस्ताव संबंधी पत्र ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक को सौंपा है। आरोपितों के लोक सेवक होने के कारण ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने नौ आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन चलाने की स्वीकृति मांगी थी।
यह है मामला
शहर की साफ-सफाई के लिए नगर निगम की ओर से नवंबर 2017 में 50 ऑटो टीपर खरीद का टेंडर निकाला गया था। टेंडर में शामिल एक आपूर्तिकर्ता तिरहुत ऑटो मोबाइल के प्रोपराइटर संजय गोयनका ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में कम कीमत के बदले अधिक कीमत वाले आपूर्तिकर्ता को टेंडर स्वीकृति दी गई। ब्यूरो की जांच में 3.80 करोड़ से अधिक के इस खरीद मामले में करोड़ों के घोटाला की बात सामने आई। ब्यूरो ने अक्टूबर 2018 में महापौर सहित दस आरोपितों के विरुद्ध निगरानी थाना में केस दर्ज किया।
इस बारे में विशेष अरुण कुमार चौधरी (लोक अभियोजक, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो) ने बताया कि महापौर सुरेश कुमार व तत्कालीन नगर आयुक्त रंगनाथ चौधरी के विरुद्ध मुकदमा चलाने की स्वीकृति मिली है। अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी यह स्वीकृति जल्द मिल जाएगी। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की जांच में सभी आरोपितों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। सभी के विरुद्ध जल्द ही आरोप पत्र दाखिल किए जाएंगे।