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West Champaran News : वाल्मीकिनगर के वन क्षेत्र में जलीय जीवों के शिकार पर रोक लगाने के लिए चलेगा अभियान

पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर में नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान के सौजन्य से जलीय जीवों के संरक्षण और जलीय प्रजातियों के संवद्र्धन पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें जलीय जीव के संरक्षण एवं संवद्र्धन हेतु वनकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए जागरूक किया गया।

By Vinay PankajEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 04:15 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 04:15 PM (IST)
West Champaran News : वाल्मीकिनगर के वन क्षेत्र में जलीय जीवों के शिकार पर रोक लगाने के लिए चलेगा अभियान
वाल्मीकिनगर में जलीय जीवों के संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला में मौजूद अधिकारी और वनकर्मी (जागरण)

पश्चिम चंपारण (बगहा), जागरण संवाददाता। नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान के सौजन्य से जलीय जीवों के संरक्षण और गंगा तथा अन्य सहायक नदियों की जलीय प्रजातियों का संवद्र्धन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन वाल्मीकिनगर में हुआ। वन विभाग के सभागार में आयोजित कार्यशाला में जलचरों एवं उनके प्राकृतिक वास संरक्षण के महत्व पर भी बल दिया गया।

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दी जाएगी ऑनलाइन ट्रेनिंग :

बताया गया कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी संकट के दौरान वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी वन्यजीवों और जंगलों की रक्षा करते हुए प्रकृति संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। अब जलीय जीवों के संरक्षण के लिए टाइगर रिजर्व इलाकों के गाइडों की भी मदद ली जाएगी। इसके तहत पहले इन्हें ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद ये टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों को जलीय जीवों के संरक्षण के लिए भी जागरूक करेंगे।

ग्रामीणों को प्रहरी के रूप में तैयार किया जाएगा।:

हाल ही में गंडक नदी में मौजूद जलीय जीवों पर सर्वे किया गया है। नमामि गंगे योजना के तहत वाइल्ड लाइफ इंस्टिट््यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) की टीम के इस सर्वे में सामने आया कि गंडक नदी में अब भी मगरमच्छ, कछुआ, ऊदबिलाव जैसे कई जलीय जीव मौजूद हैं। गंगा नदी की शान डॉल्फिन के साथ अन्य जलीय जीवों के संरक्षण के लिए वन विभाग नई शुरुआत करने की तैयारी में है। जिसमें ग्रामीणों को प्रहरी के रूप में तैयार किया जाएगा। इसके लिए ग्रामीणों को भी प्रशिक्षित कया जाएगा।

गंडक नदी में जलीय जीवों की भरमार :

गंगा एवं उसकी सहायक नदी में डॉल्फिन, कछुआ और घडिय़ाल आदि के संरक्षण के लिए ग्रामीणों को डॉल्फिन की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ कछुआ के अंडे किस तरह से संरक्षित किए जा सके, इसके लिए विशेष जानकारी दी जा रही है। वहीं, डॉल्फिन आदि जलीय जीवों का शिकार न होने पाए, इसके लिए भी जागरूक किया जा रहा है। गंगा नदी में डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों का संरक्षण बहुत जरूरी है। हालांकि जलीय जंतुओं की कमी नहीं है, लेकिन उसके संवर्धन को लेकर ङ्क्षचता जरूर करनी हैं। प्रदूषण से उनका प्रजनन प्रभावित हो रहा है। कम गहराई के कारण डाल्फिन जैसी मछलियों के जीवन चक्र पर संकट छा रहा है। जाल डालकर मछली मारने की विधि ने भी जलीय जीवों को संकट में डाला है। जल क्षेत्र में निवास कर रहे विभिन्न प्रजाति के जलचर के विकास और उनके संरक्षण में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के उद्देश्य से नदी में पाए जाने वाले विभिन्न प्रजाति के घडिय़ाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन, कछुआ, पक्षी आदि के संरक्षण को लेकर प्रति वर्ष सर्वे होता है।

वनकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए जागरूक किया गया :

कार्यक्रम में जलीय जीव के संरक्षण एवं संवद्र्धन हेतु वनकर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए जागरूक किया गया। मौके पर डब्ल्यूआईआई के फील्ड बायोजिलिस्ट आशीष पांडा, सौरभ गाविन, डब्ल्यू टी आई के सुब्रत कुमार बेहरा, रेंजर महेश प्रसाद आदि मौजूद थे।


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