Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर में लखनदेई का टूटा तटबंध, एक दर्जन गांवों में पानी

बागमती गंडक मानुषमारा का भी प्रकोप देखा जा रहा है। आधा दर्जन प्रखंडों की 50 पंचायतें प्रभावित हैं। शहर के निचले करीब आधा दर्जन इलाकों में बूढ़ी गंडक का पानी घुसा गया है। वहां बाढ़ जैसी स्थिति है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 09:14 AM (IST)Updated: Sat, 14 Aug 2021 09:14 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में लखनदेई का टूटा तटबंध, एक दर्जन गांवों में पानी
मुजफ्फरपुर के कटरा के डुमरी में लखनदेई का तटबंध टूट गया। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, जासं। उत्तर बिहार में बुधवार की रात से शुरू हुई बारिश तबाही मचा रही है। अधिकतर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मुजफ्फरपुर के कटरा के डुमरी में लखनदेई का तटबंध टूट गया, जिससे कई गांवों में पानी फैलने लगा है। वहीं, औराई के एक दर्जन गांवों में बागमती का पानी प्रवेश कर गया है। इधर बागमती, गंडक, मानुषमारा का भी प्रकोप देखा जा रहा है। आधा दर्जन प्रखंडों की 50 पंचायतें प्रभावित हैं। शहर के निचले करीब आधा दर्जन इलाकों में बूढ़ी गंडक का पानी घुसा गया है। वहां बाढ़ जैसी स्थिति है। गंगा और उसकी सहायक बाया नदी का समस्तीपुर में कहर जारी है। बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए इंजीनियरों और अधिकारियों को अलर्ट किया गया है। मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर और विद्यापतिनगर मेें गंगा किनारे के लोगों को प्रशासन की ओर से लगातार अलर्ट किया जा रहा है।

loksabha election banner

शाहपुर पटोरी के तारा धमौन के समीप शुक्रवार को रेलवे पुल घाट के पास बाया नदी में रिसाव होने लगा, लोगों ने मुखिया के सहयोग से रिसाव बंद किया और अस्थायी बांध बना दिया।

पश्चिम चंपारण में सेमरहना, मसान, हरहा व गंडक नदियों से कटाव हो रहा है। करीब आधा दर्जन पहाड़ी नदियां मैदानी इलाकों में तबाही मचा रही हैं। शुक्रवार को गंडक बराज से 1.11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। शिवहर में भी बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। जिले में फिर बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। डीएम ने अधिकारियों को अलर्ट किया है।

बरसात ने पशुओं से छीना हरा चारा, हाल बेहाल

मुजफ्फरपुर : बरसात ने पशुओं से हरा चारा छीन लिया है। उनका भोजन भूसा-पुआल तक ही सिमट गया है। बाढ़ व खेतों में जलजमाव से हरा चारा की कमी हो गई है। पशुओं के लिए उगाए गए मक्का व बाजरा भी पानी लगने से खराब हो गए हैैं। ऐसे मे भूसा या पुआल के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इससे पशुओं के साथ ही पशुपालक भी परेशान हैं। पशुपालक मनोज कुमार ने कहा कि खेतों में जलजमाव से हरा चारा की कमी हो गई है। अधिकतर पशुपालक या तो पशुओं को खेत में घुमा-घुमाकर चरा रहे हैं या फिर जो पुआल, भूसा पहले से रखा है उसी से काम चला रहे हैं। दिलीप राय ने कहा कि खेत में लगाया गया बाजरा, मक्का पानी से बर्बाद हो गया है। हरा चारा नहीं मिलने से दूध उत्पादन कम हो गया है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.