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शिवहर में नारी उत्पीड़न की घटनाओं पर ब्रेक, इस साल अबतक महज दस मामले

Sheohar News शराबबंदी कानून और स्वरोजगार की वजह से नारी उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों पर लगी रोक इस साल अबतक आठ महीने के भीतर शिवहर जिले में नारी उत्पीड़न के महज दस मामले ही दर्ज हो सके।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 04:45 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 04:45 PM (IST)
शिवहर में नारी उत्पीड़न की घटनाओं पर ब्रेक, इस साल अबतक महज दस मामले
श‍िवहर में नारी उत्‍पीड़न के मामलों में आयी कमी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

शिवहर, जासं। शिवहर जिले में नारी उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आई है। एक ओर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है तो दूसरी ओर आम जनता में जागरूकता आ रही है। स्वयं सहायता समूहों के गठन के जरिए महिलाएं सशक्त हुई है। यहीं वजह हैं कि, जिले में नारी उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आई है। इस साल अबतक आठ महीने के भीतर शिवहर जिले में नारी उत्पीड़न के महज दस मामले ही दर्ज हो सके। हालांकि, इस साल दहेज हत्या के पांच मामले भी विभिन्न थानों में जरूर दर्ज हुए है। जबकि, पिछले साल विभिन्न थानों में नारी उत्पीड़न के 60 मामले दर्ज हुए थे।

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शराबबंदी से आई जिंदगी में बहार, सरकारी योजनाओं ने बदली जिंदगी

शिवहर में इस साल नारी उत्पीडन के दस मामले दर्ज हुए है। अंतिम मामला एक माह पूर्व दर्ज हुआ था। पांच साल पूर्व के क्राइम हिस्ट्री पर नजर डाले तो हर माह जिले में 50 से 60 मामले दर्ज होते रहे है। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। शराबबंदी के चलते महिलाओं की जिंदगी में बहार आई है। शराब पर रोक की वजह से घरेलू विवादों पर रोक लगी है। दूसरी ओर महिलाएं आत्मनिर्भर बनी है। इसमें जीविका का अहम योगदान रहा है। स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाएं आत्मनिर्भर बनी है। इलाके की महिलाएं अब घर की चौखट पार कर रही है। मनरेगा, आइसीडीएस, बागवानी, पशुपालन, लहठी निर्माण, चप्पल निर्माण, सिलाई-कटाई, खेती और जेनरल स्टोर्स की दुकान खोलकर महिलाओं ने गरीबी दूर की है।

विभिन्न बैंक, उद्योग विभाग, कृषि व पशुपालन विभाग भी महिलाओं की सहायता कर रही है। जबकि, विभिन्न महिला समूह घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही है। यहीं वजह हैं कि, महिला अपराध का ग्राफ बढ़ा है। जीविका से जुड़ी पिपराही की अमृता देवी, रानी देवी, चांदनी देवी आदि बताती है कि, अब समाज की तस्वीर बदल चुकी है। नारी शक्ति खुली हवा में सांस ले रही है। रोजगार के जरिए महिलाएं गरीबी दूर कर रही है। ऐसे में नारी उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आई है।

-एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय बताते हैं कि, घरेलू विवाद या नारी हिंसा के लिए गरीबी जिम्मेदार रही। नशापान के चलते अपराध में वृद्धि होती रही। लेकिन नशाबंदी कानून के लागू होने की वजह से नारी उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आई है। इतना ही नहीं अब लोग जागरूक हुए है। पुलिस की सख्ती की वजह से अपराध में कमी आई है।


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