बीआरएबीयू, मुजफ्फरपुर: अब दूसरे जिलों में भी बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र
डीएसडब्ल्यू प्रो.अजीत कुमार ने बताया कि जैसे-जैसे विवि में कालेजों की संख्या बढ़ रही है। विवि को अपनी योजना तैयार करनी होगी। अब परीक्षाएं योजनाबद्ध तरीके से होंगी। वर्तमान में जब स्नातक की परीक्षा ली जाती है तो अत्याधिक विद्यार्थी होने के कारण अन्य परीक्षाओं को रोकना पड़ता है।
मुजफ्फरपुर, जासं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की परीक्षाएं अब मुख्यालय के अलावा दूसरे जिलों में भी संचालित की जाएंगी। विवि की ओर से इसको लेकर योजना बनाई जा रही है। एक साथ वोकेशनल, प्रोफेशनल और सामान्य कोर्स की परीक्षाएं संचालित की जाएंगी। विवि स्तर पर गठित टीम इन परीक्षाओं की निगरानी करेगी। विश्वविद्यालय की ओर से शैक्षणिक सत्र को नियमित करने को लेकर यह पहल की जा रही है। डीएसडब्ल्यू प्रो.अजीत कुमार ने बताया कि जैसे-जैसे विवि में कालेजों की संख्या बढ़ रही है। विवि को अपनी योजना तैयार करनी होगी। अब परीक्षाएं योजनाबद्ध तरीके से होंगी। वर्तमान में जब स्नातक की परीक्षा ली जाती है तो अत्याधिक विद्यार्थी होने के कारण अन्य परीक्षाओं को रोकना पड़ता है। ऐसे में विवि के क्षेत्राधिकार वाले मोतिहारी, सीतामढ़ी और हाजीपुर में भी केंद्र बनाए जाएंगे।
विवि विकसित करेगी अपनी टीम, एजेंसी से समाप्त होगी निर्भरता
विश्वविद्यालय को तेजी से डिजिटल की ओर ले जाया जा रहा है। वर्तमान में एजेंसी नामांकन से लेकर परीक्षा तक का कार्य देखती है। अब एजेंसी से विवि निर्भरता समाप्त करेगा। इसके लिए विवि यूएमआइएस के कर्मियों को प्रशिक्षित करेगा। इन कर्मियों पर नामांकन, रजिस्ट्रेशन, परीक्षा फार्म से लेकर परिणाम जारी करने तक का जिम्मा होगा। वर्तमान में स्नातक और पीजी के परिणाम में हुई गड़बड़ी को देखते हुए एजेंसी की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में विवि अपनी टीम विकसित करेगी।
साफ्टवेयर की होगी खरीदारी
इसबार बजट में यूएमआइएस समेत विवि को डिजिटलाइज्ड करने को लेकर करीब साढ़े पांच करोड़ का बजट प्रस्तावित है। इसे सीनेट से स्वीकृति मिलती है तो विवि के यूएमआइएस में अत्याधुनिक साफ्टवेयर की खरीदारी होगी। इसकी मदद से परिणाम और विद्यार्थियों का डाटा क्रमबद्ध तरीके से रहेगा। साथ ही परिणाम में त्रुटियां कम होंगी।
विभाग का निर्देश, बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाएंगे शिक्षक
मुजफ्फरपुर : कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया है। ऐसे में सरकारी स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग की पहल पर दूरदर्शन पर कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। साथ ही पाठ्यपुस्तक और पाठ्य सामग्री विभाग की ओर से तैयार पोर्टल पर निशुल्क उपलब्ध है। विभाग को शिकायत मिली की काफी संख्या में ऐसे विद्यार्थी हैं जिनके पास टीवी या डिजिटल माध्यम में पढ़ाई के लिए उपकरण नहीं हैं। ऐसे में उन विद्यार्थियों के लिए विभाग की ओर से शिक्षकों को घर-घर जाकर शिक्षा देने का निर्देश दिया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार की ओर से डीईओ व डीपीओ को जारी पत्र में कहा गया है कि पहली से पांचवीं कक्षा के ऐसे बच्चे जिनके पास डिजिटल कनेक्टिविटी नहीं है। ऐसे बच्चों को स्कूल के शिक्षक घर जाकर पढ़ाएं। शिक्षक ऐसे मोहल्लों का चयन करें जहां अधिक संख्या में ऐसे बच्चे हों। उन्हें टोला भ्रमण कर मार्गदर्शन दें। इस कार्य में विद्यालय प्रधान अपने क्षेत्र के शिक्षा सेवक व तालीमी मरकज की भी मदद ले सकते हैं।