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BRABU,Muzaffarpur: कई अधिकारी बदले पर पेंडिंग की समस्या रह गई बरकरार

BRABUMuzaffarpur वर्तमान में स्नातक 2018-21 के तृतीय वर्ष का परीक्षा फार्म भरा जा रहा है इधर सैंकड़ो की संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतिदिन पार्ट-1 और टू में पेंडिंग हुए परिणाम में सुधार के लिए विवि का चक्कर लगा रहे हैं। इन्हें शीघ्र परिणाम सुधारकर जारी करने का आश्वासन दिया जा रहा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 08:23 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 08:23 AM (IST)
BRABU,Muzaffarpur: कई अधिकारी बदले पर पेंडिंग की समस्या रह गई बरकरार
सैकड़ों की संख्या में पार्ट-1 और टू के विद्यार्थी प्रतिदिन पेंडिंग में सुधार के लिए पहुंच रहे विवि।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय पिछले पांच वर्षों में 4 वीसी बदले पर परीक्षा विभाग की समस्याएं अब भी कायम हैं। तीन परीक्षा नियंत्रक भी आए और गए पर पेंडिंग परिणाम में सुधार, ससमय परीक्षाओं का आयोजन और सत्र को नियमित करने की दिशा में पहल नहीं हुई। नए कुलपति आये तो उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं में छात्र हित से जुड़े मुद्दों को शामिल किया पर उसपर पहल नहीं की गई। वर्तमान में स्नातक 2018-21 के तृतीय वर्ष का परीक्षा फार्म भरा जा रहा है, इधर सैंकड़ो की संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतिदिन पार्ट-1 और टू में पेंडिंग हुए परिणाम में सुधार के लिए विवि का चक्कर लगा रहे हैं। इन्हें शीघ्र परिणाम सुधारकर जारी करने का आश्वासन दिया जा रहा। छात्र कह रहे कि 25 तक ही फार्म भरा जाएगा। इससे पहले पेंडिंग परिणाम नहीं ठीक हुआ तो वे तृतीय वर्ष की परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह जाएंगे।

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बिचौलियों के लिए उगाही का साधन बना पेंडिंग परिणाम

विवि की प्रत्येक परीक्षाओं में 15 से 20 प्रतिशत परिणाम पेंडिंग हो जाता है। यह विवि के परिसर में सक्रिय बिचौलियों के लिए उगाही का साधन बना हुआ है। पेंडिंग परिणाम में सुधार के लिए विवि मुख्यालय में सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी व पश्चिम चंपारण, वैशाली के साथ ही मुजफ्फरपुर जिले के सुदूर क्षेत्र से विद्यार्थी आते हैं। बिचौलिए छात्र-छात्राओं से विवि में अपनी पैठ बताकर पेंडिंग ठीक करने के नाम पर पैसे ऐंठते हैं। कई बार दूसरे जिले से आये विद्यार्थियों के साथ मारपीट की घटनाएं हो चुकी हैं। ये विद्यार्थियों से प्रत्येक पेंडिंग परिणाम में सुधार के लिए दो से पांच हजार रुपये वसूलते हैं। चर्चा है कि इसमें विवि के कर्मचारियों का भी हिस्सा होता है। इस कारण वे जान बूझकर परिणाम को पेंडिंग करवाते हैं। स्वयं से सुधार करवाने की कोशिश करने पर पांच-पांच बार आवेदन देने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं। 


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