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BRABU,Muzaffarpur: नेपाल के अभ्यर्थियों को पीएचडी करने पर छूट, दूसरे प्रदेश के विद्यार्थियों को पहले प्रस्तुत करना होगा प्रमाणपत्र

बिहार विश्वविद्यालय में यदि दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों को छूट श्रेणी में प्राथमिकता दी जाएगी तो इससे यहां के विद्यार्थी प्रभावित होंगे। असम समेत अन्य दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थी बाद में प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हैं ऐसे में कोर्स वर्क शुरू करने से लेकर अन्य प्रक्रिया प्रभावित होती है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 10:05 AM (IST)
BRABU,Muzaffarpur: नेपाल के अभ्यर्थियों को पीएचडी करने पर छूट, दूसरे प्रदेश के विद्यार्थियों को पहले प्रस्तुत करना होगा प्रमाणपत्र
2016 रेगुलेशन से डिग्री कालेज के प्राध्यापकों को गाइड बनने में आई बाधा।

मुजफ्फरपुर, जासं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में नेपाल के अभ्यर्थी पीएचडी कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें एंबेसी से स्वीकृति लेनी होगी। साथ ही अपने देश में वे जहां नियुक्त होंगे वहां से कोर्स वर्क की अवधि में छुट्टी स्वीकृत करानी होगी। वहीं असम समेत दूसरे सभी प्रदेशों के अभ्यर्थियों को छूट श्रेणी का लाभ तभी मिलेगा जब वे अपने सभी प्रमाणपत्र पहले प्रस्तुत करेंगे। विवि के कुलानुशासक सह अध्यक्ष छात्र कल्याण डा.अजीत कुमार ने बताया कि दूसरे प्रदेश में भी विश्वविद्यालय हैं। बिहार विश्वविद्यालय में यदि दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों को छूट श्रेणी में प्राथमिकता दी जाएगी तो इससे यहां के विद्यार्थी प्रभावित होंगे। असम समेत अन्य दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थी बाद में प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हैं ऐसे में कोर्स वर्क शुरू करने से लेकर अन्य प्रक्रिया प्रभावित होती है। ऐसे में दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थी को तभी शामिल किया जाएगा जब वे विवि के सभी मानकों को पूरा करेंगे। 

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2016 रेगुलेशन में डिग्री कालेज के अभ्यर्थियों को पीएचडी

डा.अजीत ने कहा कि यूजीसी के 2016 रेगुलेशन के अनुसार सिर्फ विश्वविद्यालय और अंगीभूत कालेज के प्राध्यापक ही पीएचडी में गाइड बन सकेंगे। इस रेगुलेशन के लागू होने से पूर्व डिग्री कालेज के प्राध्यापक भी यदि गाइड बने होंगे तो वे पीएचडी पूरी कराएंगे। नए सिरे से उन्हें गाइड बनने की स्वीकृति नहीं दी जाएगी।

पीजीआरसी की बैठक स्थगित

20 नवंबर को विश्वविद्यालय के सीनेट सभागार में होने वाली पीजीआरसी की बैठक स्थगित हो गई है। विवि के परीक्षा नियंत्रक डा.संजय कुमार ने इसकी अधिसूचना जारी की है। उन्होंने बताया कि 20 नवंबर को मानविकी, विज्ञान और कामर्स संकाय की बैठक होनी थी। अपरिहार्य कारण से इसे स्थगित किया गया है। वहीं 21 नवंबर को सोशल साइंस, एजुकेशन और मैनेजमेंट संकाय की बैठक होगी। बताया गया कि जिन विभाग में अध्यक्ष नहीं हैं। वहां संकायाध्यक्ष पूरी प्रक्रिया करेंगे।

डिग्री कालेज के प्राध्यापकों को गाइड बनने से रोक से शिक्षक संघ में रोष

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से यूजीसी के 2016 रेगुलेशन का हवाला देकर डिग्री कालेज के प्राध्यापकों को पीएचडी में शोधार्थियों का गाइड बनने से रोका गया है। ऐसे में उनमें रोष है। शिक्षक संघ की ओर से इसके विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी गई है। संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी संघ ने विवि प्रशासन पर शिक्षकों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया का आरोप लगाया है। शिक्षकों का कहना है कि 2016 रेगुलेशन में लिखा है कि स्थायी एवं परमानेंट शिक्षक ही गाइड बनेंगे। प्रो.रणविजय ने कहा कि संबद्ध कालेज के शिक्षक सरकार की चयन समिति एवं विश्वविद्यालय के ङ्क्षसडिकेट, सीनेट से स्वीकृत परमानेंट शिक्षक हैं। उन्हें किसी भी स्थिति में शोध कार्यों के लिए गाइड बनने से वंचित नहीं किया जा सकता है। विश्वविद्यालय इस पर पुनर्विचार कर छात्र हित में शोध कार्यों के सफल एवं गुणवत्तापूर्ण संचालन के लिए डिग्री महाविद्यालय के शिक्षकों को इस कार्य से वंचित नहीं करे। डा.उमेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस रेगुलेशन में यह भी जिक्र है कि अंगीभूत कालेज या विवि के उन शिक्षकों को ही गाइड बनाया जा सकता है जिनके पांच पेपर यूजीसी की केयर लिस्ट वाले रेफर्ड जर्नल में प्रकाशित हों। साथ ही उन्होंने दो अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लिया हो। कहा कि इस मानक का भी विवि को ध्यान रखना होगा। नाराजगी जताने वालों में डा.सतीश कुमार, प्रो.अरुण कुमार मिश्रा, डा.अशोक कुमार, डा.ललन शर्मा, डा.सुनील कुमार आदि हैं।  


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