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किताबें मिलीं नहीं, हजारों बच्चे बिना पढ़ें देंगे परीक्षा, राशि की आस में गुजर गए शैक्षणिक सत्र

सरकारी स्कूलों में 16 मार्च से 5 वीं और 8 वीं की वार्षिक परीक्षा। पाठ्य पुस्तकों की राशि उपलब्ध नहीं कराने से बच्चों ने फटी-पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई शुरू की।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 02:45 PM (IST)
किताबें मिलीं नहीं, हजारों बच्चे बिना पढ़ें देंगे परीक्षा, राशि की आस में गुजर गए शैक्षणिक सत्र
किताबें मिलीं नहीं, हजारों बच्चे बिना पढ़ें देंगे परीक्षा, राशि की आस में गुजर गए शैक्षणिक सत्र

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। प्राथमिक व मध्य विद्यालय के 50 हजार से अधिक बच्चे बिना पढ़े परीक्षा देंगे। कारण उन बच्चों को पुस्तकें ही नसीब नहीं हो सकीं। सरकारी स्कूल में पढऩे वाले सभी बच्चों को पुस्तकें नहीं मिल सकी हैं। स्कूलों में 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा 16 मार्च से शुरू हो जाएगी। जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में करीब आठ लाख छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। लेकिन सरकार की ओर से पाठ्य पुस्तकों की राशि उपलब्ध नहीं कराने से बच्चों ने फटी-पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई शुरू की।

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   पुस्तक की राशि की आस लगाए शैक्षणिक सत्र गुजर गए। लेकिन पुस्तकें नसीब नहीं हो सकीं। जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को नई किताब की बात कौन कहे पुरानी किताबें भी नहीं मिल सकीं। एक तरफ सरकार सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए नए-नए दावे तो करती है, लेकिन अब तक बच्चों को पुस्तक नहीं मिलने से यह दावा पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है।

    सरकारी स्कूलों के उन बच्चों की हालत सबसे ज्यादा खराब है, जो कक्षा छह से लेकर आठ तक की पढ़ाई कर रहे हैं। जिले के प्राइमरी सेक्शन में पिछले दो वर्षो से किताबों की समस्या बरकरार है। 2017-18 में भी किताबों की समस्या सामने आई थी। विभाग की मानें तो जिले में 5 लाख से अधिक किताबों की मांग की गई है। बच्चों को पुरानी किताबें देने का फरमान जिले में पूरी तरह से असफल रहा है। महज दस प्रतिशत बच्चों ने किताब वापस की वह भी फटी हुई।

अबकी बार पुस्तक के बदले दी गई राशि

अबकी बार पुस्तक के बदले खाते में राशि भेजने का फैसला लिया गया था। जिले को 13 करोड़ 46 लाख रुपये पुस्तक मद में दी गई। जिसमें से 10 करोड़ 78 लाख रुपये स्कूलों को दी गई। इस राशि से करीब साढ़े छह लाख बच्चे लाभान्वित हुए। हजारों बच्चों के खाते में अब तक राशि नहीं पहुंचने की बात बतायी जा रही है। शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूल में अध्ययनरत छठी कक्षा के संतोष कुमार, पिंकी कुमारी, सुनील कुमार ने बताया कि दोस्तों के किताब से पढ़ा।

  बाजार में भी पुस्तक नहीं मिलते है। इस वजह से काफी परेशानियां होती है। मुरौल प्रखंड के मध्य विद्यालय के एचएम जितेश कुमार की मानें तो पुस्तक देने की प्रक्रिया पूरी तरह गलत है। बाजार में पुस्तक उपलब्ध नहीं होने से काफी परेशानियां होती हैं। कई बच्चों को पुस्तकें नहीं मिल सकी हैं।  


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