पश्चिम चंपारण जिले में बायोमेडिकल कचरा निष्तारण की व्यवस्था बेहाल
बायोमेडिकल वेस्ट यत्र-तत्र फैलने के कारण सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा बना रहा है। इसके संपर्क में आने से स्वस्थ आदमी भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है। डॉक्टर सुमित कुमार का कहना हैं कि अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट काफी खतरनाक है। इसका निस्तारण आवश्यक है।
बेतिया, जासं। जिले के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं स्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र व निजी नर्सिंग होमों में निकलने वाले बायो मेडी वेस्ट के निस्तारण के उचित प्रबंध नहीं किया किया गया। जिसके कारण अस्पताल से रोज निकलने वाले मेडिकल कचरा यत्र-तत्र बिखरा रहता है। पटियां, प्लास्तर, सिरिंज, खाली बोतल, टिसू आदि कचरे का ढ़ेर पड़ा रहता है। अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज उनके परिजनों एवं ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे निकलने वाले सढ़ास, बदबू व जहरीली गैसों से संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है। कचरे के यत्र-तत्र बिखरे होने के कारण मेडी वेस्ट के कचरे के ढ़ेर में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहा है। जो कचरे को इधर-उधर फैला देते है। इससे निकलने वाले दुर्गंध के कारण इलाज कराने वाले मरीज एवं उनके परिजन, डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी नाक पर रूमाल रखकर अस्पताल में जाने के लिए विवश होते है। हैरानी की बात तो यह हैं कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी भी परिस्थिति में अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को खुले में नहीं फेंकने का फरमान जारी किया गया है। इसके निस्तारण के लिए मानक भी तय की गई है। इसके बावजूद निजी अस्पताल क्या कहें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इसका पालन नहीं हो रहा है। जबकि, निजी अस्पताल में साफ सफाई के नाम पर मरीजों से मोटी रकम भी वसूल करते है।
संक्रमण का बना रहता है खतरा
बायो मेडिकल बेस्ट यत्र-तत्र फैलने के कारण सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा बना रहा है। इसके संपर्क में आने से स्वस्थ आदमी भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है। डॉक्टर सुमित कुमार का कहना हैं कि अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट काफी खतरनाक है। इसका निस्तारण आवश्यक है। लेकिन, जिले में निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने से इससे निकलने वाले जहरीली गैस, सड़ास व बदबू से संक्रमण का खतरा बना रहता है। साथ ही इसके आस-पास से गुजरने पर सांस रोग की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं अगर यत्र-तत्र जलाया जाता हैं तो इससे ऑक्सी टॉक्सीस जैसी जहरीली गैस निकलती है। जो वातावरण में फैलती है। इससे लोगों की जान भी जा सकती है।
जिले में 60 निजी नर्सिंग होमों को मिली है प्रोविजनल लाइसेंस
जिले में संचालित होने वाले 60 निजी नर्सिंग होमों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रोविजनल लाइसेंस दी गई है। सभी आवश्यक मानकों को पूरा करने के बाद ही इन्हें रेगुलर लाईसेंस मिल सकती है। लेकिन, आश्चर्य की बात यह हैं कि लाइसेंस देने के पहले विभाग ने किसी भी अस्पताल से बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के बाबत भौतिक सत्यापन नहीं हुआ है। इसमें 90 फीसदी से ज्यादा अस्पताल आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करते है। जबकि, स्वास्थ्य विभाग के नियमों को देखा जाए तो किसी भी अस्पताल को लाईसेंस देने के पहले बायो मेडी वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था होना अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। जीएमसीएच बेतिया के उपाधीक्षक डॉ. श्रीकांत दुबे ने कहा कि जीएमसीएच में वर्तमान स्थिति में निर्माण कार्य चल रहा है। बायो मेडी वेस्ट निस्तारण के लिए प्लांट भी लगाएं जाएंगे। फिलहाल अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडी बेस्ट को मुजफ्फरपुर भेजा जाता है।