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सैनिटाइजर के निर्माण को लेकर विवि तैयार, संसाधन मिले तो पांच घंटे में तैयार हो सकता है 200 बोतल Muzaffarpur News

BRA Bihar University विवि के पास तकनीक उपलब्ध विभाग से की गई सामग्री की मांग। बताया गया कि संसाधन मिले तो पांच घंटे में तैयार हो सकता है 200 बोतल सैनिटाइजर।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 12:51 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 12:51 PM (IST)
सैनिटाइजर के निर्माण को लेकर विवि तैयार, संसाधन मिले तो पांच घंटे में तैयार हो सकता है 200 बोतल Muzaffarpur News
सैनिटाइजर के निर्माण को लेकर विवि तैयार, संसाधन मिले तो पांच घंटे में तैयार हो सकता है 200 बोतल Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एक ओर जहां कोराना से लडऩे के लिए पूरा विश्व संघर्ष कर रहा है। नए तकनीक विकसित करने को लेकर कवायतें शुरू हो गई हैं। इसी क्रम में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय कोरोना से लड़ाई को तैयार है। विवि के जंतु विज्ञान विभाग के पास सैनिटाइजर बनाने की तकनीक उपलब्ध है। लेकिन, कुछ संसाधनों की कमी है। राज्यपाल के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने इसको लेकर विवि को पत्र लिखा था। इसमें चार बिंदुओं पर शोध में लगे सभी विभागों से रिपार्ट देने के लिए कहा गया था।

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इसमें जानकारी देनी थी कि विभागों की ओर से इस विषम परिस्थिति में क्या कार्य संभव हो सकते हैं। जिससे जनमानस को इसका लाभ मिल सके। पूछने पर विवि के जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ.राजीव विमल ने बताया विवि की ओर से पत्र मिला था। इसके जवाब में लिखा गया है कि विवि के पास तकनीक उपलब्ध है। यदि संसाधन उपलब्ध हो जाए तो बाजार से पांच गुना कम कीमत पर सैनिटाइजर का निर्माण किया जा सकता है।

बताया कि यदि पर्याप्त संसाधन मुहैया कराई जाए तो विभाग अपनी तकनीक से पांच घंटे में 100 एमएल के 200 बोतल सैनिटाइजर का निर्माण करने में सक्षम है। लेकिन, इसके लिए विभाग के पास एथेनॉल व आइसोप्रोपेनॉल उपलब्ध नहीं है। जिसका उपयोग सैनिटाइजर के निर्माण में किया जाता है। बताया कि इसके अलावे उसमें उपयोग में लाई जाने वाली रसायन विभाग के लैब के उपयोग के लिए है। जिसे सैनिटाइजर के उपयोग में लाया जा सकता है। बता दें कि इसके निर्माण में प्लांट प्रोडक्टस और व ग्लीसरीन का भी उपयोग होता है। लेकिन, बिहार में मद्य निषेद होने के कारण एलकोहॉल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसके कारण प्रैक्टिकल कार्य भी प्रभावित हो रहा है। बता दें कि जंतु विभाग के विद्यार्थियों ने अबतक 1000 से अधिक मास्क का निर्माण कर वितरण भी किया है।


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