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तारापुर व कुशेश्वरस्थान के बाद बोचहां विधानसभा उपचुनाव में दिख सकता घमासान, इन दलों की हो सकती दावेदारी

विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद उपचुनाव को लेकर संभावित उम्मीदवार करने लगे हैं तैयारी। सीट पर एनडीए के घटक दलों की दावेदारी पर नजर विपक्ष में राजद का दावा मजबूत। राजनीतिक दलों के साथ संभावित उम्मीदवार भी अपनी-अपनी संभावना तलाश रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 14 Dec 2021 09:20 AM (IST)Updated: Tue, 14 Dec 2021 09:20 AM (IST)
तारापुर व कुशेश्वरस्थान के बाद बोचहां विधानसभा उपचुनाव में दिख सकता घमासान, इन दलों की हो सकती दावेदारी
बोचहां विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री रमई राम का दबदबा रहा है।

मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा]। बिहार विधानसभा की दो सीटों (तारापुर और कुशेश्वरस्थान) पर हुए उपचुनाव पर पूरे राज्य की नजर थी। दोनों सीट पर जीत के लिए सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। इसी तरह मुजफ्फरपुर की बोचहां सीट भी शक्ति परीक्षण का केंद्र बन सकती है। वीआइपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद खाली इस आरक्षित सीट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव होने की संभावना है। राजनीतिक दलों के साथ संभावित उम्मीदवार भी अपनी-अपनी संभावना तलाश रहे हैं। 

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भाजपा व वीआइपी में बयानबाजी

बोचहां विधानसभा सीट पर लंबे अरसे तक पूर्व मंत्री रमई राम का विजेता और उपविजेता के रूप में दबदबा रहा है। वहीं दल के मामले में राजद मुख्य लड़ाई में रहा है। सीट पर दावेदारी की लड़ाई एनडीए में ही होने की आशंका है। सीट वीआइपी के पास रहेगी या भाजपा की ओर से दावा ठोका जाएगा, यह सवाल उठने लगा है। यूपी में वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी भाजपा के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। यहां मुकेश सहनी और भाजपा सांसद अजय निषाद में बयानबाजी हो रही है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह भाजपा की अपरोक्ष रूप से दावेदारी का ट्रेलर है। वह इसलिए कि पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष बेबी कुमारी यहां से रमई राम को हराकर 2015 में निर्दलीय चुनाव जीत चुकी हैं। पिछली बार लोजपा से उम्मीदवारी तय हो गई थी, लेकिन वह गठबंधन से बाहर हो गई। इसके बाद यह सीट वीआइपी को दे दी गई। पार्टी धर्म निभाते हुए बेबी कुमारी मैदान में नहीं उतरी थीं।

सीएम के आने से उत्साहित मुसाफिर पासवान के स्वजन

मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान की उम्मीदवारी भी मजबूत दिख रही। भाजपा से इतर एनडीए में जिस दल की दावेदारी होगी, वहां अमर की उम्मीदवारी की संभावना अधिक होगी। मुसाफिर के श्राद्धकर्म में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शामिल होने से जदयू के नेता व कार्यकर्ता उत्साहित हैं। इधर, मुकेश सहनी ने भी मुसाफिर के परिवार के साथ खड़ा रहने की बात कही है, हालांकि उम्मीदवारी को लेकर अभी पत्ते नहीं खोले हैं।

खूब हो रही कयासबाजी

दूसरी ओर विपक्षी दल में राजद की ही दावेदारी मजबूत है, मगर लोजपा (चिराग गुट) के निर्णय पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। महागठबंधन से अलग चुनाव लडऩे पर एनडीए घटक दल और राजद के बागियों के लिए एक विकल्प रहेगा। मुसाफिर के श्राद्धकर्म के ही दिन रमई राम द्वारा बेटी गीता कुमारी को मैदान में उतारने की घोषणा ने इसे हवा दे दी है। बसपा उम्मीदवार के रूप में गीता सकरा से भाग्य आजमा चुकी हैं। वहीं जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष एवं मुसाफिर पासवान की बहू इंद्रा देवी ने भी सभी विकल्प खोल दिए हैं। इंटरनेट मीडिया पर लालू परिवार एवं चिराग पासवान के साथ लगातार तस्वीरें शेयर कर इसका संकेत भी दे रही हैं। तारापुर और कुशेश्वरस्थान में महागठबंधन से अलग राह अपना चुकी कांग्रेस भी दावेदारी कर सकती है। 


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