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Bihar Assembly Elections 2020 : दरभंगा में जीते को सत्ता सुख, हारे को आज भी मतदाताओं पर भरोसा

Bihar Assembly Elections 2020 दरभंगा जिले में इस बार कुछ नेताओं ने चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र की जनता से नाता जोड़ रखा है। कई प्रत्याशी क्षेत्र में बहा रहे पसीना जनता के दर्द को बांट रहे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 09:29 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 09:29 AM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : दरभंगा में जीते को सत्ता सुख, हारे को आज भी मतदाताओं पर भरोसा
इसमें राजद प्रत्याशी अमरनाथ गामी और हायाघाट विस क्षेत्र से राजद प्रत्याशी भोला यादव शामिल हैं। प्रतीकात्‍मक फोटो

दरभंगा, जेएनएन। Bihar Assembly Elections 2020: चुनाव में जीतने के लिए यूं तो विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता खूब पसीना बहाते है। लेकिन, चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद से हारे हुए प्रत्याशी मैदान में कहीं नजर नहीं आते। इन्हें जनता के दुख-दर्द से कोई मतलब नहीं होता। यह सच्चाई है। लेकिन, दरभंगा जिले में इस बार कुछ नेताओं ने चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र की जनता से नाता जोड़ रखा है। वे उनके सुख-दर्द के भागी बन रहे है। उनकी समस्या को लेकर आवाज बुलंद कर रहे है। इनमें से दरभंगा शहरी विस क्षेत्र से राजद प्रत्याशी अमरनाथ गामी और हायाघाट विस क्षेत्र से राजद प्रत्याशी भोला यादव शामिल हैं। 

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हाल में ही हुए विस चुनाव में हार का सामना करने के बाद भी क्षेत्र की जनता का विश्वास जीतने की कवायद में जुटे हुए है। लगातार क्षेत्र में रहकर गांव-गांव भ्रमण कर रहे है। लोगों की समस्या को अधिकारियों तक पहुंचा रहे है। इतना ही नहीं, सोशल साइट्स के जरिए अपने पूरे दिन के कामकाज का लेखा भी जनता के बीच रख रहे है। इनका इन्हें लाभ भी मिल रहा है। जनता के बीच ये अभी से अपनी अच्छी छवि बनाने में जुट गए है। मरनी-हरनी, श्राद्ध, मुंडन, उपनयन संस्कार सहित लोगों की आर्थिक मदद करने में भी पीछे नहीं हटते। आए दिन जनता दरबार लगाकर लोगों की फरयाद सुन रहे है। हाकिमों तक उनकी आवाज पहुंचा रहे है, ताकि सरकारी योजनाओं से वंचित लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके। अब तक नेताओं की जो छवि जनता के बीच थी, वो अब बदलती नजर आ रही है। जनता इसे सकारात्मक राजनीति की पहल बता रही है।

शहरी क्षेत्र के आमोद ठाकुर, निशी मिश्रा, अमन झा, कुमार ठाकुर, निधिश्री आदि ने बताया कि चुनाव में कई उम्मीदवार खड़े होते है। जीत किसी एक के ही नाम होती है। इसका यह मतलब नहीं कि हारने वाले अपनी किस्मत और अन्य कारणों को लेकर बैठे रहे। उन्हें अगले पांच साल तक लगातार जनता के बीच रहकर अपनी छवि को और बेहतर करना चाहिए। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि हारे हुए प्रत्याशी चुनाव के बाद से लगातार क्षेत्र में एक्टिव है। 


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