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बैंक ने कर्ज देने से मना किया तो महिलाओं ने खोल दिया 'अपना बैंक' जानिए क्या है खास

बैंक ने कर्ज देने से मना किया तो ये बात मुजफ्फरपुर जिले के कन्हौली गांव की महिलाओं को एेसी नागवार गुजरी कि उन्होंने अपना बैंक ही खोल लिया। इस बैंक में सभी कर्मचारी महिलाएं ही हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 10:19 PM (IST)
बैंक ने कर्ज देने से मना किया तो महिलाओं ने खोल दिया 'अपना बैंक' जानिए क्या है खास
बैंक ने कर्ज देने से मना किया तो महिलाओं ने खोल दिया 'अपना बैंक' जानिए क्या है खास

मुजफ्फरपुर [उमाशंकर]। सरकारी बैंक ने कर्ज देने से मना किया तो खोल दिया 'अपना बैंक'। इसमें महिला ही कर्मचारी और ग्राहक। इस बैंक में 25 लाख रुपये जमा हैं। 11 सौ महिलाएं जुड़ी हैं। कर्ज लेने के लिए आवेदन देना पड़ता, इसके उपरांत खाते में राशि डाल दी जाती है। एक साल में ब्याज सहित रकम चुकानी पड़ती है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी प्रखंड के खादी भ्ंाडार के पास यह अनोखा बैंक 2017 से सफलतापूर्वक चल रहा है। 

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 बैंक की अध्यक्ष तारा देवी कहती हैं कि वर्ष 2000 में जिले में महिला समाख्या कार्य कर रही थी। उस वक्त कई महिलाओं ने सरकारी बैंक में ऋण के लिए आवेदन दिया तो यह कहकर देने से मना कर दिया गया कि आपके पास न तो जमीन है और न ही बंधक रखने के लिए अचल संपत्ति। तब, तत्कालीन जिला कार्यक्रम समन्वयक पूनम शर्मा की प्रेरणा से महिला समाख्या फेडरेशन की बैठक हुई। उसमें बचत के लिए रुपये जमा करने का निर्णय लिया गया।

2017 तक फेडरेशन की महिलाएं बचत की राशि जमा करती रहीं। इसके बाद ज्योति महिला समाख्या के तहत 'अपना बैक' का निबंधन कराया गया। उद्देश्य बचत के साथ महिलाओं के जीविकोपार्जन की व्यवस्था करना है। 

 करीब 1100 महिला सदस्य हर माह बचत करती हैं। ऋण के आवेदन के आमसभा से पारित होने के बाद अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष इसपर मंतव्य देतीं हैं। जितनी राशि देने की स्वीकृति मिलती, उतने का चेक उक्त महिला के खाते में भेज दिया जाता है। वित्तीय लेनदेन इलाहाबाद बैंक से जुड़ा हुआ है।

10 हजार से लेकर 50 हजार तक का ऋण दिया जाता है। सालभर में 100 रुपये पर दो रुपये प्रतिमाह की दर के ब्याज सहित लौटानी होती है। तकरीबन 200 महिलाओं को ऋण दिया गया है। राशि वसूल करने वाली महिला कर्मी को आठ हजार रुपये प्रतिमाह एवं 1000 रुपये यात्रा भत्ता दिया जाता है। 

बैंक में अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष के अतिरिक्त पांच महिलाएं काम करती हैं। बैंक से जुड़ीं महिलाएं सिलाई, बुनाई, सब्जी की दुकान और कपड़े की फेरी लगाने का काम करती हैं। बैंक की सचिव सीता देवी एवं कोषाध्यक्ष सुनीता देवी हैं।

लालवती देवी ने बताया कि हमने 30 हजार ऋण लेकर कृषि कार्य में लगाया। इस बार धान की फसल से 10 हजार रुपये जमा किए। अगली फसल में सारा कर्ज जमा करने का प्रयास रहेगा। बंदरा प्रखंड कीपिरापुर महदेइया निवासी अनूपा देवी ने बताया कि 50 हजार कर्ज लेकर सब्जी की खेती में लगाया। कर्ज जमा कर दिया है।

इलाहाबाद बैंक के शाखा प्रबंधक ने कहा-

'महिलाएं आपस में जुड़कर स्वरोजगार के लिए राशि का प्रबंध अपने स्तर से कर रही हैं, यह सराहनीय कदम है।

-सुनील सिंह, शाखा प्रबंधक, इलाहाबाद बैंक कन्हौली शाखा


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