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कटरा के 20 गांवों में घुसा बागमती का पानी, आवागमन की समस्या विकराल Muzaffarpur News

आवागमन पशुचारा के साथ रोजी-रोटी की समस्या हुई उत्पन्न। विस्थापित गांवों के पुनर्वास की नहीं हुई व्यवस्था।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 07:56 PM (IST)
कटरा के 20 गांवों में घुसा बागमती का पानी, आवागमन की समस्या विकराल Muzaffarpur News
कटरा के 20 गांवों में घुसा बागमती का पानी, आवागमन की समस्या विकराल Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बागमती के जलस्तर में आंशिक कमी के बावजूद पीडि़तों की समस्याएं यथावत हैं। आवागमन के अलावा खेती व रोजी- रोटी की समस्या बनी हुई है। पशु चारे के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं, वर्षा की पुनर्वापसी से किसान भयभीत हैं। बागमती का पानी प्रखंड के 20 गांवों में प्रवेश कर चुका है जहां से पानी का निकासी गंभीर समस्या बन गई है। प्रखंड के मोहनपुर, बरैठा, बरदवारा, बसघटृा, बकुची, पतांरी, अंदामा, नवादा, गंगेया, भवानीपुर, बर्री, माधोपुर, चंदौली, बसंत, सोनपुर, शिशवारा, गटोली आदि गांव पानी की जद में हैं। कई घरों में पानी है तो कई लोगों का मवेशी बथान पानी से घिरा है। 

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अधिकतर गांव विस्थापित

प्रभावित अधिकतर गांव विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। बागमती परियोजना द्वारा बांध निर्माण के दौरान कई गांवों को विस्थापित घोषित किया गया। सरकारी नियमों के अनुसार इनके पुनर्वास की व्यवस्था व भूमि और भवन का मुआवजा देना था। लेकिन मुआवजे की आस में चार वर्षों से भूअर्जन कार्यालय का चक्कर काट कर भूस्वामी थक चुके हैं। उनका न तो मुआवजा मिला और न पुनर्वास की व्यवस्था हुई। नतीजतन लोग बाढ़ की मार सहने को विवश हैं।

बाढ़ राहत की राशि से वंचित

बाढ पीडि़तों का कहना है कि प्रारंभ में जब बाढ़ आई तो मंत्री, डीएम सहित अनेक अधिकारियों ने प्रभावित गांवों का दौरा किया। डीएम दो दिनों तक कटरा में कैंप करते रहे। उन्होंने सर्वेक्षण कर अविलम्ब राहत राशि पीडि़तों के खाते में भेजने का आदेश दिया। लेकिन विडंबना देखिए कि प्रखंड प्रशासन ने वर्ष 2017 में बनाई गई बाढ़ पीडितों की सूची जिले को भेज दी। इसमें कई नाम ऐसे थे जिनकी मृत्यु हो चुकी है तो कई बाढ़ से वंचित हैं। लिहाजा बैंकों से राशि वापस लेनी पड़ी। वास्तविक बाढ़ पीडि़त इसके लाभ से वंचित रह गए। उनका कहना है कि एक बाढ़ की राहत राशि मिली नहीं कि दूसरी बार बाढ़ की चपेट में आ गए।

आवागमन की समस्या विकराल

पीडि़तों के सामने सबसे बडी समस्या आवागमन की है। बेनीबाद-बकुची मार्ग पर तीन फीट पानी बह रहा है। वहीं बकुची-पहसौल मार्ग जलप्लावित है जिससे बाहर निकलना मुश्किल है। वर्षा और बाढ़ से जलावन भिंंग चुके हैं। भोजन बनाना बड़ी समस्या है। मवेशियों के चारे की समस्या गंभीर बनी हुई है। मार्ग में पानी जमा होने से चारा जुटाना कठिन कार्य है। बकुची निवासी योगेन्द्र महतो, श्याम महतो, गुमानी सहनी, अंबकेश्वर सिंह आदि ने बाढ़ से परेशानी और पीड़ा सुनाई। उनका कहना था कि सरकार ने हमारी पंचायत को विकास कार्य से वंचित कर दिया है जिससे परेशानी बढ़ गई है।  


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