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Muzaffarpur Flood : बूढ़ी गंडक नदी के वर्ष 2017 के जलस्तर का टूटा रिकॉर्ड, शहर पर बाढ़ का खतरा बरकरार

Muzaffarpur Flood वर्ष 1987 के उच्चतम स्तर के करीब पहुंचा जलस्तर। पुरानी जीरोमाइल के पास रिंग बांध टूटने के चलते कई इलाकों में फैला बाढ़ का पानी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 02:19 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 03:42 PM (IST)
Muzaffarpur Flood : बूढ़ी गंडक नदी के वर्ष 2017 के जलस्तर का टूटा रिकॉर्ड, शहर पर बाढ़ का खतरा बरकरार
Muzaffarpur Flood : बूढ़ी गंडक नदी के वर्ष 2017 के जलस्तर का टूटा रिकॉर्ड, शहर पर बाढ़ का खतरा बरकरार

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Muzaffarpur Flood : बूढ़ी गंडक नदी की धाराओं में जारी उफान ने वर्ष 2017 के जलस्तर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। वहीं अब नदी की धाराएं वर्ष 1987 के उच्चतम जलस्तर के रिकॉर्ड को तोडऩे के लिए मचल रही हैं। इससे एक बार फिर मुजफ्फरपुर शहर पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। अबतक कांटी, बंदरा, विजयी छपरा और पुरानी जीरोमाईल के पास समेत चार स्थानों पर बूढ़ी गंडक नदी का तटबंध ध्वस्त हो चुका है।

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एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम तैयार

दादर समेत आधा दर्जन स्थानों पर रिसाव जारी है। कई इलाके में लोग तटबंध को काटने की तैयारी में है। हालांकि, डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर अधिकारियों की टीम लगातार नदी के जलस्तर और तटबंधों पर नजर बनाए हुए है। बड़ी संख्या में सशस्त्र बल पेट्रोलिंग कर रही है। अभियंताओं की टीम, जलस्तर और नदी की धाराओं की प्रकृति का अवलोकन कर रही है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम तैयार है। बताते चलें कि पिछले एक सप्ताह से बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। बुधवार को सिकंदरपुर में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर डेंजर लेबल 52.53 मीटर से 1.30 सेमी अधिक 53.83 मीटर दर्ज किया गया। यह वर्ष 2017 के उच्चतम स्तर 53.74 मीटर से 0.9 सेमी अधिक है। वर्ष 2017 में नदी का पानी तटबंध को पार कर शहर में प्रवेश कर गया था। वर्ष 1987 में भी बूढ़ी गंडक ने मुजफ्फरपुर शहर में तबाही मचाई थी। तब नदी का उच्चतम जलस्तर 54.29 मीटर दर्ज किया गया था। जो वर्तमान जलस्तर से महज 0.46 सेमी कम है।

नए इलाकों में फैला बाढ़ का पानी

पिछले 24 घंटे के भीतर हुई भारी बारिश के चलते बूढ़ी गंडक नदी की धाराओं में आए उफान के चलते शहर के नए इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है। कांटी, बंदरा और विजयी छपरा के बाद बुधवार की सुबह पुरानी जीरोमाइल के पास बांध टूटने के बाद शहर के मिठनसराय, अखाड़ाघाट, हनुमंत नगर, गांधीनगर, बालूघाट, लकड़ीढाई, झीलनगर, आश्रमघाट, शेरपुर, कोल्हुआ, पैगंबरपुर और मेडिकल के आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने से लोगों में अफरातफरी मच गई। शहरी क्षेत्र में निचले इलाके की तकरीबन दस हजार की आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई। लोग तटबंधों और ऊंचे स्थलों पर शरण लेने को विवश हैं। इधर, पीडि़तों के लिए सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई है। 150 परिवारों को सुरक्षित स्थल तक पहुंचाया गया है।

बागमती का जलस्तर भी खतरे के निशान के पार

बुधवार को बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान के पार रहा। कटौझा में बागमती नदी भी डेंजर लेबल के पार बहती रही। कटौझा में बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 1.12 सेमी उपर 55.85 मीटर दर्ज किया गया। बेनीबाद में बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 0.4 सेमी कम 49.61 मीटर दर्ज किया गया है। गंडक के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है। रेवाघाट में गंडक खतरे के निशान 54.41 मीटर से 0.3 सेमी नीचे बह रही है। यहां का जलस्तर 54.38 मीटर दर्ज किया गया। यहां जलस्तर में 0.20 सेमी की गिरावट हुई है। जबकि, गंडक बराज से 2 लाख 21 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है। 


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