बड़ रे जनत स सिया धिया पोसलउ, सेहो धिया राम लेने जाय.., श्रीराम-जानकी विवाह संपन्न
विवाहोत्सव के अंतिम दिन प्रभु श्रीराम के साथ माता जानकी की हुई विदाई। महिलाओं ने मैथिली मंगलगीतों के बीच नम आंखों से प्रभु श्रीराम व माता जानकी को किया विदा। प्रभु श्रीराम ने भाईयों संग मिथिला के व्यंजनों का चखा स्वाद महिलाओं ने खूब की हंस-ठिठोली।
हरलाखी (मधुबनी), संस। छह दिनों के विवाहोत्सव के बाद गुरुवार को जनकपुर धाम में सबकी आंखें नम हैं। जनकनंदिनी माता जानकी के विदाई के अवसर पर महिलाएं नम आंखों से विदाई के मंगलगीत गाते हुए प्रभु श्रीराम-माता जानकी को विवाह की शुभकामनाएं दे रही हैं। उनके गीत के बोलों में सीता से विछड़ने का गम भी है और प्रभु श्रीराम के मिथिला का दामाद बनने की खुशी भी। जानकी मंदर परिसर में विदाई की रस्में पूरी की गई। बड़ रे जतन सॅ सिया धिया पोसलउ, सेहो धिया राम लेने जाय। आगु-आगु रामचंद्र, पाछु-पाछु डोलिया, ताहि पाछु लछमन भाई…..। चलु चलु सीता अवध नगरिया, बिसरु जनकपुर धाम …..। मैथिली मंगलगीत गाती महिलाओं की आंखों से खुशी के आंसु छलकते रहे। श्रद्धालु जय सियाराम के जयकारे लगाते रहे। विदाई के मौके पर भारत-नेपाल के श्रद्धालु बड़ी संख्या में जनकपुर धाम में मौजूद रहे।
विदाई से पहले हुई भतखई
मिथिला की परंपरा के अनुसार विवाह के अगले दिन मर्याद की परंपरा निभाई गई। इस दौरान प्रभु श्रीराम चारों भाई, राजा दशरथ एवं समस्त बारातियों को भतखई कराया गया। बारातियों ने पंगत लगा कर मिथिला के आतिथ्य का आनंद उठाया। भोजन में बारातियों को भात-दाल, कई प्रकार की सब्जियां, मिठाई, तरुआ व दही परोसी गई। मिथिला का प्रसिद्ध तिलकोर के तरुआ बारातियों ने खूब जमकर खाया। मिथिला के खानपान से बाराती अभिभूत दिखे। प्रभु श्रीराम ने अपने भाईयों भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न के साथ भोजन किया। इस दौरान महिलाओं ने उनके साथ खूब हंसी-ठिठोली भी की। महिलाएं साक्षात जतगपालक भगवान विष्णु को श्रीराम के रुप में अपने दामाद के रूप में भोजन करते देख गदगद थी।
भोजन के बाद उपहार के साथ विदा हुए बाराती
राम कलेवा अर्थात विदाई की रस्मों के दौरान दशरथ की भूमिका में विहिप के राष्ट्रीय नेता सुरेश पंकज मौजूद थे। भोजन के बाद सभी बारातियों को अंगवस्त्र, कमंडल, चादर व दक्षिणा देकर विदा किया गया। पूरा कार्यक्रम जानकी मंदिर परिसर में उत्तराधिकारी महंत रामरोशन दास की अगुवाई में संपन्न हुआ।