ऑटो टिपर घोटाला : दो पूर्व नगर आयुक्त व चार इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति
नगर निगम के ऑटो टिपर खरीद घोटाला में दो पूर्व नगर आयुक्त रमेश रंजन प्रसाद व डॉ.रंगनाथ चौधरी के खिलाफ भी अभियोजन (मुकदमा) चलाने की स्वीकृति निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को मिल गई है।
मुजफ्फरपुर। नगर निगम के ऑटो टिपर खरीद घोटाला में दो पूर्व नगर आयुक्त रमेश रंजन प्रसाद व डॉ.रंगनाथ चौधरी के खिलाफ भी अभियोजन (मुकदमा) चलाने की स्वीकृति निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को मिल गई है। इसके अलावा चार अन्य आरोपितों के खिलाफ भी संबंधित विभागों से अभियोजन की स्वीकृति मिली है। इसमें पथ निर्माण विभाग से नगर निगम में प्रतिनियुक्त कार्यपालक अभियंता बिदा सिंह, कनीय अभियंता क्यामुद्दीन अंसारी, जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता महेंद्र सिंह एवं नंदकिशोर ओझा के खिलाफ भी अभियोजन की स्वीकृति संबंधित विभाग प्रमुख की ओर से प्रदान की गई है। अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद इन सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। संभावना है कि अगले सप्ताह इन सभी के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो विशेष कोर्ट में इन सभी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल कर सकती है। इसके साथ ही इस मामले में दस में से नौ आरोपितों के खिलाफ संबंधित विभागों से अभियोजन की स्वीकृति मिल गई है। एक आरोपित ऑटो टिपर आपूर्तिकर्ता सरकारी कर्मचारी नहीं है इसलिए उसके विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति की कानूनी आवश्यकता नहीं है। इससे पहले ब्यूरो की ओर से महापौर सुरेश कुमार व दो कनीय अभियंताओं के विरुद्ध विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल की गई थी।
यह है मामला : शहर की सफाई के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत वर्ष 2017 में मुजफ्फरपुर नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति ने 50 ऑटो टिपर खरीदने का निर्णय लिया। वर्ष 2018 में इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई। इसमें कम कीमत लगाने वाले के बदले अधिक कीमत लगाने वाली एजेंसी की निविदा को स्वीकृति दी गई। आनन-फानन में टिपर की आपूर्ति कर भी दी गई। कम कीमत लगाने वाली एजेंसी की ओर से इसकी शिकायत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से की गई। ब्यूरो की जांच में लगभग 3.85 करोड़ के घोटाला की बात सामने आई। इसके बाद ब्यूरो ने महापौर सहित दस के विरुद्ध निगरानी थाने में प्राथमिकी दर्ज की।