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Madhubani News: ना रंग, ना ब्रश, सिक्की से तैयार हो रही आकर्षक पेंटिंग, देश-दुनिया में बढ़ने लगी डिमांड

मधुबनी जिले के एक छोटे से गांव रैयाम के कलाकार चंद्र कुमार ठाकुर सिक्की पेंटिंग को नई ऊंचाई देने में सफलता हासिल कर रहे हैं। मधुबनी पेंटिंग की तरह सिक्की पेंटिंग भी अब कद्रदानों तक पहुंच बनाने लगी है। देश-दुनिया में इसकी मांग बढने लगी है।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 01:22 PM (IST)
Madhubani News: ना रंग, ना ब्रश, सिक्की से तैयार हो रही आकर्षक पेंटिंग, देश-दुनिया में बढ़ने लगी डिमांड
मधुबनी। सिक्की पेटिंग तैयार करते चंद्र कुमार ठाकुर (फोटो- जागरण)

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। ना रंग और ना ब्रश, बस सिक्की से तैयार हो जाती है किसी की भी हु-ब-हू पेंटिंग। पेंटिंग भी वैसी कि कला प्रेमी देखते ही आश्चर्यचकित हो जाते हैं। स्वत: उगने वाली सिक्की (एक तरफ की घास) से तैयार पेंटिंग की चमक कम से कम 100 वर्षों तक बरकरार रहती है। बेडरूम हो, डाइनिंग रूम या फिर शिक्षण संस्थान या फिर होटल की दीवारों पर सिक्की पेंटिंग अपनी जगह बनाने लगी है। मधुबनी जिले के एक छोटे से गांव रैयाम के कलाकार चंद्र कुमार ठाकुर सिक्की पेंटिंग को नई ऊंचाई देने में सफलता हासिल कर रहे हैं। मधुबनी पेंटिंग की तरह सिक्की पेंटिंग भी अब कद्रदानों तक पहुंच बनाने लगी है। देश-दुनिया में इसकी मांग बढने लगी है।

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* तत्कालीन उद्योग मंत्री श्याम रजक से स्टेट अवार्ड प्राप्त करते कलाकार चंद्र कुमार ठाकुर (फाइल फोटो)

महात्मा गांधी, पीएम नरेंद्र मोदी की सिक्की पेटिंग की सर्वाधिक डिमांड

चंद्र कुमार ठाकुर अब तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, क्रिकेटर विराट कोहली और सुभाषचंद्र बोस सहित अनेक प्रसिद्ध लोगों के अलावा तरह-तरह के फूल, पशु-पक्षी, पर्यावरण से जुड़े आकृति वाले सिक्की पेटिंग तैयार कर चुके हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिक्की पेटिंग की डिमांड सर्वाधिक रही है।

सिक्की पेटिंग के जरिए नई पहचान

मिथिला की परंपरागत सिक्की कला को पेटिंग के रूप में कला प्रेमी काफी पसंद करने लगे हैं। जिले के झंझारपुर प्रखंड के रैयाम गांव निवासी 46 वर्षीय कलाकार चंद्र कुमार ठाकुर सिक्की कला को पेटिंग के रुप में नई पहचान देने की दिशा में सफलता हासिल करते हुए सिक्की पेटिंग को आगे बढ़ाने में जुटे है। इनके द्वारा बनाए गए सिक्की पेटिंग को काफी सराहा जा रहा है। इसके खरीदार आकर्षित हो रहे हैं। चंद्र कुमार ठाकुर को जिला के अलावा दरभंगा, पटना, दिल्ली, मुंबई सहित देश के विभिन्न हिस्सों से 100 सिक्की पेटिंग का आर्डर मिल चुका है। बताया कि सिक्की से एक पेटिंग बनाने में सप्ताह तक का समय लग जाता है। अधिक पेटिंग का आर्डर मिलने पर अधिक आमदनी होगी। इनके द्वारा बनाए गए सिक्की पेंटिंग की कीमत तीन से लेकर 50 हजार तक होती है। इससे वे प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक की आमदनी कर रहे हैं।

* भगवान बुद्ध की इस पेटिंग पर चन्द्र कुमार ठाकुर को मिला स्टेट अवार्ड (फाइल फोटो)

भगवान बुद्ध की सिक्की पेंटिंग पर चंद्र कुमार को स्टेट अवार्ड 

दो दशक से सिक्की पेंटिंग बना रहे चंद्र कुमार ठाकुर को वर्ष 2016-17 में उनकी उत्कृष्ट पेंटिंग भगवान बुद्ध पर तत्कालीन उद्योग मंत्री श्याम रजक के हाथों स्टेट अवार्ड प्रदान किया गया। चंद्र कुमार दिल्ली, पटना, बिहार म्यूजियम, सूरजकुंड सहित देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शनी में अपनी पेंटिंग लगा चुके हैं। इनकी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की एक पेंटिंग दिल्ली के एक कला प्रेमी द्वारा 50 हजार रुपये में खरीदी गई।

कलाकारों की आजीविका बना सिक्की पेंटिंग 

पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक सिक्की पेटिंग के प्रचलन में आने से जिले के इस कला के अन्य कलाकारों को बेहतर आमदनी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। राधा कुमारी, सुधीरा देवी, रुणा देवी, सरोवर देवी, अर्चना कुमारी, दुर्गा कुमारी, गुंजा कुमारी सहित एक दर्जन से अधिक कलाकार की आजीविका सिक्की पेंटिंग बनाकर चल रही है।

* सिक्की पेंटिंग के कलाकार चंद्र कुमार ठाकुर

मां से मिली प्रेरणा 

चंद्र कुमार ठाकुर को सिक्की पेंटिंग की प्रेरणा इनकी माता से मिली। इनकी माता सिक्की कला के सहारे जीवन-यापन करती थी। माता से प्रेरणा पाकर सिक्की कला के क्षेत्र में कुछ नया करने की सोच के साथ संघर्ष करते हुए सिक्की पेंटिंग को बढ़ावा देने लगे।

 इस बारे में हस्‍तशि‍ल्‍प व‍िभाग के सहायक न‍िदेशक मुकेश कुमार ने कहा क‍ि 'इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट हैंडीक्राफ्ट द्वारा रैयाम गांव में सिक्की कलाकारों के लिए एक करोड़ की लागत से कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण चल रहा है। सिक्की कलाकारों को प्रोत्साहन दिया जाता है। सिक्की कला के कलाकारों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। इसके कलाकार आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रहे है।''


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