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सीतामढ़ी जिले में खादी वस्त्रों के उत्पादन व बिक्री से सालाना 12 करोड़ का कारोबार

Sitamarhi news खादी फैशन का पकड़ा जोर तो बढ़ गया कारोबार संरक्षण और वित्तीय सहायता मिले तो और बढ़ेगी खादी मशाला बेसन व सतू बेचकर हर महीने दस लाख रुपये आमदनी कर रहा खादी ग्रामोद्योग सुरसंड व सोनबरसा में निष्क्रिय होने के कारण दोनों जगहों पर खादी के सेंटर बंद

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 10:08 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 10:08 PM (IST)
सीतामढ़ी जिले में खादी वस्त्रों के उत्पादन व बिक्री से सालाना 12 करोड़ का कारोबार
सीतामढ़ी जिला खादी ग्रामोद्योग संघ । फोटो - जागरण

सीतामढ़ी, जासं। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के खादी वस्त्रों के अपनाने के आह्वान एवं स्वयं चरखा चलाकर सूत कातने की परंपरा आज भी कमोबेश खादी ग्रामोद्योग में कायम है। आजादी के अमृत महोत्सव में खादी की समृद्धि की बात हो रही है। यह वही खादी है जिसकी बदौलत हमें आजादी मिली। समय बदलने के साथ ही इसमें भी बदलाव आए हैं। लेकिन, आज भी खादी की महत्ता कायम है। खादी अब फैशनेबल ब्रांड भी है। खादी विचारधारा के लोग खादी वस्त्र खरीदा करते हैं। ऐसे लोग ही खादी वस्त्र के मुख्य ग्राहक हैं या फिर जाड़े के मौसम में खादी के कंबल, ऊनी चादर आदि की खरीद होती है।

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खादी में आकर्षण के बाद युवाओं में भी क्रेज बढ़ा है। रेडिमेड बंडी तथा अन्य खादी उत्पादों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। बड़े-बड़े शहरों में खादी मॉल भी खुल गए हैं। जहां खादी की डिजाइनदार कपड़ों के प्रति लोगों में क्रेज बढ़ा है। इसी तरह सीतामढ़ी जिला खादी भंडार में भी खादी कपड़ों की मांग बढी है। वैसे कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण कार्यशक्ति घटने से खादी बिक्री प्रभावित हुई है। जहां तक इस खादी ग्रामोद्योग के तहत निर्माण की बात है तो जिले मे सूत कताई, कपड़ा बुनाई, धोती, गमछा, लूंगी आदि थान, दो सूती कपड़ा का उत्पादन हो रहा है। कुर्ता, बंडी, पाजामा की बिक्री के लिए सिलाई-कटाई होती है। इसके अलावा सतू, बेसन, पीसी हल्दी, मिर्च-मसाला की बिक्री की जाती है।

केंद्र व राज्य सरकार के जिम्मे सब्सिडी का 94 लाख रुपये बकाया है। सब्सिडी राशि का नियमित भुगतान होता तो खादी वस्त्र व कुटीर उद्योग का और विकास होता। यहां टेराकोटा, मोमबत्ती व अगरबत्ती, डिटर्जेंट व साबुन, व्हाइट फिनाइल, पापड़ व बरी, आचार निर्माण, मधुमक्खी पालन, हाथ-कागज उद्योग, जूट उत्पादन, बेंत व बांस के उत्पाद और लहठी निर्माण नहीें होता है।

खादी ग्रामोद्योग में उत्पादन व बिक्री का मासिक एक करोड़ का कारोबार

सीतामढ़ी खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष दिनेश ठाकुर बताते हैं कि जिला खादी भंडार में कपड़ों के उत्पादन से बिक्री तक का प्रति माह करीब एक करोड़ रुपये का कारोबार होता है। जबकि, सत्तू-बेसन व मसाला का दस लाख रुपये का कारोबार होता है। यहां 21 कार्यकर्ता कार्यरत हैं। जिन्हें आठ हजार रुपये प्रति माह भुगतान किया जाता है। इसके अलावा 160 महिलाएं सूत काटती हैं। दस बुनकर कपड़ा बुनाई का काम करते हैं। इन्हें कमीशन के आधार पर मेहताना भुगतान किया जाता है। खादी भंडार का जिले के सभी प्रखंडों में सेंटर है। सुरसंड व सोनबरसा में निष्क्रिय होने के कारण इन दोनों जगहों पर सेंटर बंद है। क्योंकि, मकान का किराया भी नहीं निकल पा रहा है। इसके अलावा शिवहर में भी एक सेंटर है।


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