AES : इलाज में लगे एएनएम को ग्लूकोमीटर तक की जानकारी नहीं, इस तरह सामने आया सच
AES जिलाधिकारी के सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सामने आया सच। डीएम ने केजरीवाल में भी व्यवस्था का लिया जायजा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सदर अस्पताल के एईएस वार्ड पहुंचे जिलाधिकारी डॉ.चंद्रशेखर सिंह का अनट्रेंड एएनएम से पाला पड़ गया। इस पर उनका माथा ठनका और चेहरा लाल। बोले, सिविल सर्जन साहब, कहां हैं आपके डीपीएम साहब। यही आपकी तैयारी है। एएनएम को सही जानकारी नहीं, ग्लूकोमीटर तक का आइडिया नहीं है। इस बीच जिलाधिकारी के आने की जानकारी मिलते ही मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ.सीके दास पहुंचे। उन्होंने डीएम के सवालों का जवाब दिया। खुद ब्लड की जांच अपनी देखरेख में कराई।
मुस्तैदी बढ़ाने का निर्देश
डीएम बोले कि सभी चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ को ये जानकारी हो कि मरीज के आने के बाद किस-किस स्टेज से इलाज होगा। ग्लूकोमीटर व जो जरूरी दवाएं चाहिए उपलब्ध हों। आगे इस तरह से होगा तो सख्त एक्शन होगा। ये व्यवस्था हर पीएचसी स्तर पर भी होनी चाहिए। उन्होंने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि एईएस प्रभावित गांवों में सामुदायिक किचन की पहल की जा सकती है, ताकि रात को कोई बच्चा भूखे पेट न सोए। इस योजना पर विचार किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने इसकी समय सीमा और इसके कार्य करने की प्रक्रिया के बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है।
केजरीवाल में केस स्टडी दुरुस्त करने पर दिया बल
इसके बाद जिलाधिकारी का कारवां केजरीवाल अस्पताल पहुंचा। वहां पर प्रशासक बीबी गिरी, शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार से इलाज की जानकारी ली। बताया गया कि यहां पर 50 बेड की व्यवस्था रहती है। उन्होंने कुछ जगहों पर टीट्रमेंट प्रोटोकॉल चस्पा कराने और जिस भी मरीज को रेफर किया जाए उसकी पूरी केस स्टडी रहनी चाहिए। ताकि आगे इलाज में परेशानी नहीं हो। वहां की व्यवस्था से वे संतुष्ट दिखे। डॉ.राजीव कुमार ने बताया कि जो बच्चा भूखे पेट रात को सोता है वह ज्यादा बीमार होता है। जितनी जल्दी उसे अस्पताल लाया जाए उतनी जल्दी क्योर होकर वापस लौटता है। इस पर जिलाधिकारी गंभीर दिखे।