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नई तकनीक का कमाल, अब एक एकड़ में 15 टन लीची का उत्पादन Muzaffarpur News

केंद्रीय लीची क्षेत्र विस्तार योजना के तहत कार्यशाला आयोजित। चैनपुर ग्राम में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के तत्वावधान में लीची पौधारोपण।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 08:48 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 08:48 AM (IST)
नई तकनीक का कमाल, अब एक एकड़ में 15 टन लीची का उत्पादन Muzaffarpur News
नई तकनीक का कमाल, अब एक एकड़ में 15 टन लीची का उत्पादन Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शाही लीची की मिठास और आकार फिर 10 साल पहले जैसी हो जाएगी। इसके साथ ही किसान एक एकड़ खेत में 15 टन लीची का उत्पादन कर सकेंगे। इसकी जानकारी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा किसानों को दी जा रही है। इस संबंध में चैनपुर ग्राम में नई तकनीकी से लीची के पौधे लगाए गए और आवश्यक जानकारी दी गई।

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मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपनी मिठास की वजह से देश-विदेश में प्रसिद्ध रही है। लेकिन, आज की लीची में न पहले जैसी मिठास है और न आकार ही है। विगत 10 सालों में लीची की मिठास में कमी आई है और आकार भी छोटा हो गया है। लीची का उत्पादन घट गया है। इसकी प्रमुख वजह राज्य में जलवायु परिवर्तन है। केंद्र सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक हालात के अनुरूप खेती की कार्ययोजना बनाई है।

नई विधि से लीची उत्पादन

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने किसानों को नई विधि से लीची उत्पादन की जानकारी दी। इसके तहत लीची का पौधा कतार में लगाने का तरीका बताया गया। सबसे महत्वपूर्ण यह कि पौधों को पूरब से पश्चिम दिशा में लगाया जाए। पौधों के एक से दूसरी कतार की दूरी आठ मीटर की होनी चाहिए। एक से दूसरा पौधा चार मीटर की दूरी पर हो। किसानों को इस विधि से पौधारोपण कर दिखाया। कहा कि पौधा लगाने की नई विधि बिल्कुल आसान है। एक एकड़ में 125 पौधा लगता है।

मिलेगी सूरज की रोशनी

पूरब से पश्चिम दिशा में लीची लगाने से सूरज की रोशनी प्रत्येक पौधे को मिलेगी। इससे एक मजबूत पौधा से पेड़ तैयार होगा जिसमें लीची की मिठास व आकार दोनों में वृद्धि होगी। लीची के पेड़ को नियमित सूरज की रोशनी मिलने से किसी प्रकार के कीट का प्रभाव नहीं पड़ता है।

इस बारे में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने कहा कि लीची उत्पादन की इस विधि के लिए संस्थान उन्नत किस्म के पौधे भी तैयार कर देता है। क्षेत्र विस्तार योजना के तहत हम राज्य में ही नहीं यूपी के तराई व उत्तराखंड में भी नई विधि से लीची उत्पादन का प्रशिक्षण दे रहे हैं।


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