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मुजफ्फरपुर में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में सबकुछ सही नहीं चल रहा

सामाजिक समीकरण के चाणक्य के पटना दरबार में मंथन के बाद तीर वाले घर में पंखे को जगह मिल गई। जिले के तीर वाले घर में भी पंखा लग गया लेकिन आजकल हवा इतनी तेज चल रही है कि सबकुछ सड़क तक पहुंच गया है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 08:58 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में सबकुछ सही नहीं चल रहा
नेताओं को समझ नहीं आ रहा है कि वे किस दिशा में आगे बढ़ें।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। विधानसभा चुनाव के बाद सामाजिक समीकरण के चाणक्य के पटना दरबार में मंथन के बाद तीर वाले घर में पंखे को जगह मिल गई। जिले के तीर वाले घर में पंखा लगाया गया, लेकिन आजकल हवा इतनी तेज चल रही है कि खिड़की से निकलकर सड़क पर गर्दा उड़ाने लगी है। बांके साह चौक इलाके के तीर संग चलने वाले प्रोफेसर साहब के दरबार मेें संगठन पर चर्चा चली। युवा ठाकुर ने कहा कि प्रोफेसर साहब संगठन में सबकुछ ठीक न हई। पंखा जमात के लोग के भारी कुर्सी पर जगह के लेल इहां से पटना तक फिल्डिंग चल रहल हई। प्रोफेसर साहब बोले, अरे भाई नया समीकरण के चक्कर में त जार्ज के जमाना वाला लोग सड़क नाप रहा है। खैर, मिलन के बाद यही हाल है कि हंस के गले मिलिए, समाज को दिखाते रहिए, दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए। आगे-आगे देखिए होता है क्या।

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...अब तक मास्क बांटे पर आफत हई

कोरोना के लहर में पटना वाले माननीय का ऐच्छिक कोष बह गया है। दिल्ली वाले युवा माननीय के दरबार में पटना सदन के नाव वाले माननीय के एक समर्थक पहुंचे। वहां उपस्थित भगवा पसंद करने वाले सकरा इलाके के मूंछ वाले ङ्क्षसह साहब पर नजर पड़ी। दुआ सलाम के बाद पटना वाले समर्थक से एक जनता ने फरियाद की, भाई साहब अपना माननीय से एक चापाकल दिलवा दू। दिल्ली वाले युवा माननीय ने सोलर लाइट दी है। पटना वाले माननीय समर्थक ने कहा कि अरे भाई साहब सारा फंड त सरकार ने मास्क के लिए रख लिया। अब मास्क बांटे के काम भी सरकारी अमला कर रहल हई। जहां मास्क बांटे वाला काम भी माननीय के हाथ से न हो रहल हई त चापाकल कहां से आएगा। इ सरकार के भगवान मालिक हई रे भाई। जे हालत हई जमीन बेच के जनता के सेवा करेके के नौबत न आ जाए।

बहती गंगा में नहाने का मौका चूकने का मलाल

पंचायत के मांजन की सारी प्लाङ्क्षनग पर कोराना माई ने पानी फेर दी। अघोरिया बाजार चौक पर अपनी बाइक लगाकर चाय की जुगाड़ मेंं खड़े पड़ाव पोखर के तीर वाले प्रोफेसर साहब के सामने एक चारपहिया खड़ी हुई। प्रोफेसर साहब परेशान इ क्या हो रहा है। अचानक सकरा व मुशहरी इलाके की दो पंचायतों के मांजन उतरे। दुआ सलाम हुई। प्रोफेसर साहब के साथ खड़े एक कार्यकर्ता ने एक पंचायत के मांजन को टोका, भाई साहब योजना के लेल एडवांस वाला पाई त लौटाना पड़ेगा। मुखियाजी बोले, भाई साहेब सोचे थे कि इस बार अंतिम में सारी योजना का हिसाब-किताब लगाकर गंगा नहा लेंगे, लेकिन मंशा पर पानी फिर गया। बैंक बैलेंस से एडवांस लौटाने की नौबत हई रे भाई। जे हालत दिख रहा कहीं योजना के जांच हो गई तो लेने के देने न पड़ जाए।

हाथी के साथी का डोल रहा आसन

हाथी के साथ लंबे समय तक चलने वाले सत्य को इंद्र वाले महोदय का मन डोलने लगा है। कविता व महापुरुषों की जयंती मनाने वालों की टीम में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले महोदय इन दिनों मायूस चल रहे हैं। रेडक्रास के पास महोदय के एक समर्थक की मुलाकात कांटी के लालटेन पंसद करने वाले दल के नेता से हुई। लालटेन वाले नेता बोले, नीली बंडी वाले महोदय के कि हाल हई। समर्थक ने कहा कि महोदय आजकल हाथी के साथ छोडऩे का मन बना रहे हैं। उनके एक करीबी इन दिनों भगवा रंग में रंग गए। उसके बाद वहां पर उनको सम्मान भी मिल रहा है। इधर, हाथी किस करवट बैठेगा यह पता नहीं चलने से सब दुखी हैं। सारा समय हाथी का साथ दिए लेकिन अब अंत में लग रहा कि साथ छोडऩा पड़ेगा। लालटेन वाले नेता बोले कि अंत भला त सब भला।  


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