कृषि वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ वर्मी कंपोस्ट में नाम
मुजफ्फरपुर। कुछ अलग करने की सोच के साथ कृषि वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ समस्तीपुर जिला के जयवंत कुमार सिं
मुजफ्फरपुर। कुछ अलग करने की सोच के साथ कृषि वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ समस्तीपुर जिला के जयवंत कुमार सिंह जैविक खाद निर्माता के रूप में ख्याति अर्जित कर चुके हैं। अपने गाव स्थित एक एकड़ जमीन में वर्मी कंपोस्ट (केंचुआ खाद) बनाने का फॉर्म चलाते हैं। यहां उत्पादित खाद की माग कई राज्यों के अलावा नेपाल तक है। कई को रोजगार भी दिया है। उनसे कई प्रेरित होकर इस काम में लगे हैं।
सरायरंजन प्रखंड के खालिसपुर निवासी जयवंत ने आगरा विश्वविद्यालय से कृषि से एमएससी की। राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा में 10 वर्षो तक कृषि वैज्ञानिक के रूप में सेवा दी। इसके बाद किसानों का कृषि से पलायन रोकने के लिए गांव में ही जमुआरी नदी के किनारे वर्मी कंपोस्ट उत्पादन केंद्र स्थापित किया। इस पर करीब 50 लाख रुपये खर्च किए। शुरुआती दौर में केंचुआ बाहर से खरीदकर लाना पड़ता था। मात्र चार वर्षो के अंदर वर्मी कंपोस्ट उत्पादन इकाई को इतना विकसित कर लिया है कि गांव के दर्जनभर युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो रहा है।
इस तरह बनाते वर्मी कंपोस्ट :
गोबर की खाद में जलकुंभी एवं केले का थम्ब मिलाकर वर्मी उत्पादन खांचों में डालकर केंचुआ छोड़ा जाता है। केंचुए इसे खाकर अपनी बीट से इनकी उर्वरता में वृद्धि करते हैं। तीन महीने में खाद तैयार होती है। यह अन्य से किफायती होती है। इसके प्रयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। उन्होंने वर्मी कंपोस्ट उत्पादन को गृह उद्योग बना लिया है। अभी प्रति महीने 30 से 40 क्विंटल खाद की बिक्री करते हैं। इसकी कीमत 600 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के अलावा नेपाल के भी किसान व व्यापारी यहां से खाद ले जाते हैं।
गोबर की खाद से दस गुना गुणवत्ता : जयवंत के अनुसार रासायनिक खाद जमीन की उर्वरा शक्ति समाप्त कर देती है, जबकि वर्मी कंपोस्ट खाद बढ़ाती है। गोबर की खाद से दस गुना गुणवत्ता इसमें है। यह सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है। वर्मी खाद में पीएच की मात्रा 6-7 प्रतिशत, कार्बनिक पदार्थ की मात्रा 45-50 प्रतिशत, नाइट्रोजन 1-2 प्रतिशत, फॉस्फोरस 0.8-2 प्रतिशत, अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों में ¨जक, बोरान एवं मैग्निशियम आदि 1-2 प्रतिशत एवं नमी 15-25 प्रतिशत है। उनका कहना है कि यदि युवा ठान लें तो कृषि से बिहार को स्वर्णिम बनाते हुए अपना जीवनस्तर उन्नत कर सकते हैं। अभी उनकी प्रेरणा से मोरवा प्रखंड के सूर्यपुर निवासी प्रवीण कुमार झा, संतोष कुमार चौधरी और व्यासपुर के राजेश कुमार झा आदि भी वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन में लगे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष, विजय कुमार चौधरी ने बताया किमैंने कृषि वैज्ञानिक के इस सराहनीय प्रयास को देखा है। अन्य युवा नौकरी की बजाय कृषि को उद्योग बनाकर प्रेरणा लें तो बिहार का कायाकल्प हो सकता है।