श्मशान में 'शरीर' को राख होता देख देहदान का लिया संकल्प
मड़वन, रक्सा के योगेंद्र साह ने मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए शरीर दान का लिया संकल्प। आयुक्त से मांगी महादान की स्वीकृति, जिलाधिकारी को आगे की कारवाई का दिया गया निर्देश।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। यह शरीर नश्वर है। इसमें पंचतत्वों का समावेश है। आत्मा हीन हो जाने पर तो इसे पुन: पंचतत्वों में घुल-मिल जाना है। जीवन-मरण के चक्र में क्यों न इसकी सार्थकता साबित की जाए। इसी सोच के साथ मड़वन के रक्सा निवासी योगेंद्र साह (70) ने देहदान का संकल्प लिया है। श्मशान में मृत शरीर को राख होता देख उन्होंने बड़ा निर्णय लिया।
अपने मृत शरीर को मेडिकल छात्रों के लिए दान देने का फैसला किया। उन्होंने प्रमंडलीय आयुक्त नर्मदेश्वर लाल को महादान की स्वीकृति देने के लिए शपथ पत्र दिया है। इसमें अपना संकल्प भी दोहराया है। आयुक्त कार्यालय ने जिलाधिकारी से इस बारे में आगे की कार्रवाई करने को कहा है।
मेडिकल की पढ़ाई की हसरत रह गई थी अधूरी
शपथ पत्र में योगेंद्र साह ने कहा है कि छात्र रहते उन्हें मेडिकल की पढ़ाई करने की हसरत थी। गरीबी के कारण ऐसा नहीं कर सके। कम उम्र में ही घर छोड़कर असम चले गए। 1967 से असम में ही रह रहे। यहां सेना में सामान पहुंचाने वाले कॉन्ट्रैक्टर के साथ मिलकर काम करने लगे।
जलते शव को घंटों बैठकर देखते
योगेंद्र साव कहते हैं कि वे कई शवयात्रा में शामिल हुए। श्मशान घाट पर घंटों बैठकर मृत शरीर को जलते देखते। मृत्यु के बाद अपने शरीर के भी राख हो जाने की कल्पना से मन में कुछ करने का ख्याल आया। काफी सोचकर संकल्प लिया कि यह शरीर किसी के काम आ सके, ऐसा ही कुछ किया जाए। बचपन में डॉक्टर बनने की इच्छा थी। मगर, तंगहाली ने सपने को पूरा नहीं होने दिया। डॉक्टर बनने की चाहत ने यह निर्णय लेने में मदद की। मेडिकल छात्रों के लिए शरीर को दान करने का निर्णय ले लिया।
परिवारवालों को नहीं आपत्ति
पत्नी अनारसी देवी का 12 वर्ष पूर्व निधन हो चुका है। योगेंद्र के तीन बेटे हैं। उनके देहदान के संकल्प पर बेटों को कोई आपत्ति नहीं। वे पिता के निर्णय में दखल नहीं देना चाहते।
पूर्व में छह लोगों ने किया है देहदान
मेडिकल छात्रों के लिए इससे पहले शरीर का दान छह लोगों ने दिया है। इसमें साहेबगंज का एक दंपती भी शामिल है।