रक्तदान से शुरू हुआ कारवां, अब अंगदान को भी सामने आ रहे लोग... Muzaffarpur News
‘रक्तदान महादान’ वाट्सएप ग्रुप ने अबतक हजारों लोगों को नवजीवन प्रदान किया है। अब इस ग्रुप ने देहदान की बड़ी पहल की है। जानिए कैसे यह ग्रुप जागरूकता फैला लोगों की कर रहा मदद...
मुजफ्फरपुर [मुरारी कुमार]। हम वाट्सएप के जरिए दोस्तों, सगे संबंधियों या किसी से बात करते हैं, पर क्या आपने सोचा कि यह हजारों लोगों की जिंदगी बचाने का जरिया बन सकता है। वाट्सएप पर करीब पांच वर्ष पूर्व बने एक ग्रुप ने अबतक हजारों लोगों को नवजीवन प्रदान किया। अब यह ग्रुप देहदान के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है। इससे प्रेरित होकर कुछ लोगों ने देहदान का संकल्प भी ले लिया है और यह कारवां तेजी से आगे बढ़ रहा है।
फ्लैशबैक...
वर्ष 2013, सदर अस्पताल मुजफ्फरपुर का परिसर। दिन के ग्यारह बज रहे थे, भीड़ सामान्य दिनों की तरह ही थी, कुछ लोग इमरजेंसी वार्ड से निकले और दूसरी ओर गए, कुछ देर बाद लौटे तो उनके चेहरे पर निराशा और चिंता की लकीरें दिख रहीं थीं, हो भी क्यों न उनका कोई अपना जिंदगी और मौत से जूझ रहा था और उसे रक्त की शख्त आवश्यकता थी। वहां किसी काम से गए समाज के लिए काम करने वाले प्रिंसु मोदी ने जब उनकी स्थिति देखी तो निराशा का कारण पूछने की इच्छा हुई।
प्रिंसु उनके पास पहुंचे और निराशा का कारण पूछा। उनलोगों ने अपनी मजबूरी बताई, कहा कि ब्लड बैंक में खून नहीं मिला और मरीज की स्थिति बहुत गंभीर है। कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। लोगों की बात से प्रिंसु का दिल पसीज गया और वे खुद रक्तदान करने को राजी हो गए। रक्तदान और प्रिंसु के सामाजिक सरोकार की भावना को देख उन लोगों ने बहुत दुआएं दी। इससे प्रोत्साहित होकर प्रिंसु ने सोचा कि न जाने कितने ऐसे लोगों की जान खून नहीं मिलने से चली जाती होगी, क्यों न एक मुहिम शुरू कर ऐसे लोगों की मदद की जाय। इसके बाद प्रिंसु ने मुजफ्फरपुर के ही आलोक माखडिय़ा, भरत नथानी, नवीन चाचान व गौतम केजरीवाल आदि के साथ मिलकर रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करना शुरू किया। साथ ही सूचना मिलते ही ये रक्तदान को भी पहुंच जाते या दूसरे लोगों को जागरूक कर संबंधित मरीज की जान बचाने में जुट जाते।
करीब दो वर्षों तक मरीजों की जिंदगी बचाने के बाद 2015 में प्रिंसु व उनके समूह ने मिलकर रक्तदान-महादान के नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बनाया और मुहिम को बड़े फलक पर ले जाने की शुरूआत की। इसके बाद रक्तदाता लगातार इससे जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया। करीब चार वर्षों तक लोगों की मदद करने के बाद पटना में दधीचि देहदान समिति के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रिंसु मोदी और उनके साथी गए हुए थे। वहां देहदान के बारे में लोगो को आता देख इन लोगों ने उसके लिए भी लोगों को जागरूक करने का संकल्प लिया और अब ग्रुप के कई सदस्यों ने देहदान करने का भी संकल्प लिया है।
साढ़े चार वर्षों में 2000 लोग रक्तदान-महादान ग्रुप से जुड़े
2015 में रक्तदान महादान नामक इस ग्रुप ये अबतक प्रदेश के 2000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। प्रिंसु मोदी अपने सभी सदस्यों के मोबाइल नंबर, नाम, पता, ब्लड ग्रुप के साथ रक्तकदान महादान वाट्सएप ग्रुप पर जोड़ते हैं। इसके माध्यम से बिहार के किसी भी अस्पताल में जरूरतमंद मरीज को रक्त उपलब्ध करवाते हैं। अब यह ग्रूप और बड़े फलक पर बढ़ रहा है। रक्तदान-महादान -2 के नाम से बने दूसरे ग्रुप में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग जुड़ रहे हैं।
अबतक 5000 से अधिक लोगों को उपलब्ध करा चुके रक्त
साढ़े चार वर्षों में वाट्सएप ग्रूप और अन्य माध्यम से प्राप्त सूचना मिलने पर प्रिंसु मोदी और उनके साथ 5000 से अधिक जरूरतमंद मरीजों को रक्त उपलब्ध करा उनकी जान बचा चुके हैं। इस अभियान से जुड़े युवा हमेशा सहायता को तत्पर रहते हैं, यदि आधी रात को भी किसी को रक्त की आवश्यकता हो तो उसे मैसेज या कॉल के माध्य म से मदद पहुंचाई जाती है।
हरीश जिंदल ने लिया अंगदान का संकल्प, कर रहे जागरूक
अंगदान की मुहिम शुरू होने के बाद ग्रुप से जुड़े हरीश जिंदल ने अंगदान के लिए संकल्पित हुए हैं। इन्होंने मृत्यु के बाद अपने नेत्र, लीवर व किडनी दान करने का संकल्प लिया है। इसके लिए इन्हें दधीचि देहदान समिति द्वारा सम्मान पत्र भी प्रदान किया गया है। यह अपने साथ- साथ ग्रुप के अन्य सदस्यों को भी अंगदान के लिए जागरूक कर रहे हैं।
रक्तदान के फायदें
चिकित्सक डॉ. दीपक सिद्धार्थ बताते है कि रक्तदान के कई फायदे हैं। हर तीन महीने में एक बार रक्तदान करना चाहिए। इससे शरीर में आयरन की मात्रा सही बनी रहती है। यह आयरन को रिमूव करता है, आयरन की अधिकता से कैंसर हो सकता है। इसलिए नियमित रूप से रक्तदान करना कैंसर की संभावना को भी कम करता है। वहीं, इससे हार्ट अटैक से भी बचाव होता है। साथ ही रक्तदान मोटापा कम करने में भी काफी मददगार है। एक बार रक्त दान करके 650 कैलरी घटा सकते हैं। निरंतर रक्तदान से खून में नए कॉम्पोनेंट भी बनते है। और इस सब के साथ रक्तदान करने से मन को भी संतुष्टि मिलती है, क्योंकि आपके द्वारा दान किए गए रक्त से किसी को नया जीवन दान मिलता है।
कहते है 'रक्तदान महादान' ग्रुप के सदस्य
रक्तदान-महादान ग्रुप के एडमिन सह संस्थापक प्रिंसु मोदी बताते है कि हमेशा कोशिश रहती है कि रक्तदान-महादान ग्रुप में मैसेज आते ही संबंधित मरीज की मदद हो सके। रक्तदान और अब देहदान के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मृत्यु के बाद शरीर के कुछ अंग को दान करने से जीवित कुछ अहसाय लोगों को हम जिंदगी प्रदान कर सकते हैं। लोगों को इस नेक काम के लिए आगे आना चाहिए।
वहीं, रक्तदान-महादान ग्रुप सदस्य सह अंगदान के लिए संकल्पित हरीश जिंदल ने बताया कि ‘दधिची देह दान समिती’ द्वारा पटना में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उसी कार्यक्रम के दौरान मैंने देहदान के विषय में जाना। अगर मृत्यु के बाद भी मेरे शरीर से किसी की मदद हो सके तो इससे बेहतर और क्या होगा। इससे मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा पर किसी जरूरतमंद को नया जीवन मिल जाएगा। इसी विचार के साथ मैं देहदान के लिए संकल्पित हुआ। वैसे तो मुझे रक्तकदान करने में भी पहले भय लगता था, पर मेरे मित्र ने मुझे रक्तदान के फायदे बताए। इसके बाद से मैंने अब तक 41 बार रक्त दान किया है।