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गुजरात में बिहारी मजदूरों की छिनी रोजी-रोटी, मायूस हो लौट रहे घर

गुजरात में स्थिति खराब होने के बाद मजदूरों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यहां से आनेवाली ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 11:05 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 11:25 PM (IST)
गुजरात में बिहारी मजदूरों की छिनी रोजी-रोटी, मायूस हो लौट रहे घर
गुजरात में बिहारी मजदूरों की छिनी रोजी-रोटी, मायूस हो लौट रहे घर

मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। अहमदाबाद व अन्य जिलों में रहनेवाले बिहार समेत उत्तर प्रदेश के लोगों को निशाना बनाया जा रहा। खोज-खोजकर उनके साथ मारपीट की जा रही। कहा जा रहा कि गुजरात छोड़ दो, नहीं तो मार देंगे। ये उन लोगों की पीड़ा है, जो रोजी-रोटी की तलाश में गुजरात गए थे और अब वहां की स्थिति बिगडऩे पर काम-धंधा छोड़कर वापस हो रहे। मंगलवार को जंक्शन पहुंचे कई लोगों से बात हुई जो विपरीत हालात के बाद अपने घर लौटे हैं। उनका कहना है कि गुजरात के हालात खराब हो गए हैं। बिहारियों को रहने नहीं दिया जा रहा।
लौटने में ही भलाई
दरभंगा जानेवाली साबरमती एक्सप्रेस से उतरने वाले यात्रियों ने कहा कि दुष्कर्म की घटना के बाद बिहार के लोगों के साथ दुर्व्यवहार शुरू कर दिया है। अहमदाबाद में रहनेवाले रुन्नीसैदपुर के मुकेश कुमार ने कहा कि 10 साल से अहमदाबाद में थे। वहां एक दुकान थी। गुजरात के लोगों ने अचानक दुकान बंद कर बिहार लौटने को कहा। विरोध किया तो अभद्रता व मारपीट करने लगा। अब वहां बिहारियों की सुनने को कोई तैयार ही नहीं। दुकान बंद कर परिवार व बच्चों के साथ वापस हो गए। 
बिहारियों को कोई देखना नहीं चाहता

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शिवहर निवासी विनोद कुमार व किशोर सिंह ने कहा कि गुजरात में दुष्कर्म की घटना में बिहार के युवक का नाम आने के बाद माहौल बदल गया है। अब वहां बिहारियों को कोई देखना नहीं चाहता। रातोंरात शहर छोड़ कर लोग ट्रेनों व बस से भाग रहे। जहां बिहार के लोग मिलते, वहीं उन्हें मारने को दौड़ते हैं। अहमदाबाद जंक्शन पर बिहार लौटनेवाले लोगों की भीड़ है। ट्रेनों में जगह नहीं मिल रही।
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जान बचाना मुश्किल
सरैया के निवासी टुनटुन कुमार, उषा कुमारी ने कहा कि सिर्फ अहमदाबाद व गांधीनगर, मेहसाणा समेत अन्य जगहों पर बिहारियों का जीना हराम कर दिया है। दशहरा व दीवाली का समय है। इसमें कुछ कमाई करते। दीवाली बाद घर लौटने का प्रोग्राम था। हालात ऐसा हो गया कि जान बचाना मुश्किल है। मजबूरी में सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा।  


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