बिहार विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में विघ्न डाल सकते हैं संबद्ध कॉलेज के शिक्षक
शिक्षकों का आरोप-दीक्षांत एक बहाना है बिल बनाकर लूटना निशाना। राज्यपाल को पत्र व पोस्टकार्ड लिखकर कार्यक्रम में भाग न लेने की अपील।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 27 फरवरी को दीक्षा समारोह में संबद्ध कॉलेजों के शिक्षक विघ्न-बाधा पहुंचा सकते हैं। उस दिन धरना-प्रदर्शन करेंगे। संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक कर्मचारी संघ ने कुलाधिपति सह राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है। अध्यक्ष डॉ. पीके शाही, उपाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार, डॉ. सुनील कुमार ने शनिवार को विवि के गेस्ट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह आयोजन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है।
इस माहौल में राज्यपाल का आना उचित नहीं होगा। हम लोगों ने दीक्षा समारोह को छद्म करार दिया है। मौके पर डॉ. दिनेश मिश्रा, डॉ. विभूति सिंह, डॉ. इनाम मोहम्मद, डॉ. सईद जमा, डॉ. विभूति भूषण, डॉ. वासुदेव कुमार सिंह, मो. जावेद अली खान, डॉ. खुर्शीद अनवर, डॉ. ललन कुमार शर्मा, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. संजय चौहान, डॉ. नीता सिंह, डॉ. सीमा कुमारी, डॉ. बबिता कुमारी, डॉ. मुकेश कुमार थे।
पोस्टकार्ड भेज कर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
राज्यपाल के नाम पोस्टकार्ड भी भेजे गए हैं। इसमें लिखा- दीक्षांत एक बहाना है, बिल बनाकर लूटना निशाना है। ऐसे माहौल में आपका आगमन क्या संदेश लेकर आएगा? जनता को संतुष्टिपूर्ण जवाब चाहिए? विश्वविद्यालय में लूट-गबन/ अराजकता और भ्रष्टाचार के अनेक उदाहरण हैं। इसमें कार्रवाई के लिए राजभवन से आदेशित भी किया गया, मगर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
दीक्षा समारोह के नाम पर फिजूलखर्ची क्यों
विवि के पास करोड़ों की राशि से निर्मित अपना भव्य ऑडिटोरियम एवं कम्युनिटी हॉल है, जहां दीक्षा समारोह जैसे अकादमिक कार्यक्रम किए जाने चाहिए। लेकिन, टेंट हाउस से कमीशन के लिए एलएस कॉलेज के मैदान में यह आयोजन हो रहा। विवि का अपना प्रेस रहते हुए पटना के एक प्रिंटर्स से छपाई कराई जा रही। राज्यपाल के आगमन के नाम पर प्रति व्यक्ति पांच से सात सौ रुपये भोजन खर्च के बहाने कमाई की योजना बनी है। रंग-रोगन व अन्य मद में भी लूट मची है।
क्या चाहते हैं ये शिक्षक
संबद्ध शिक्षक चाहते हैं कि अंगीभूत शिक्षकों की तरह उनको प्रोन्नति मिले। उनके कॉलेज का अधिग्रहण हो। रिक्तियों के विरुद्ध बहाली हो। मूल्यांकन व टेबुलेशन में दोयम दर्जे का व्यवहार न किया जाए। मौके पर ही बिल भुगतान हो, बढ़ाया गया पारिश्रमिक लागू हो। संबद्ध महाविद्यालयों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा। छात्रसंघ चुनाव में भी संबद्ध कॉलेज के छात्रों को वोटर नहीं बनाया गया। न पढ़ाई, न प्रैक्टिकल सिर्फ नामांकन और परीक्षा की खानापूरी की जा रही।