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कागज पर ही काम कर रही मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी की एडवाइजरी कमेटी

Muzaffarpur Smart City स्मार्ट सिटी कंपनी में इस कमेटी का प्रावधान परियोजनाओं की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जाना था। लेकिन गठन के बाद से कमेटी कागज पर चल रही है। दो साल में कमेटी की एकमात्र बैठक गठन के समय हुई थी। उसके बाद कमेटी की बैठक नहीं हुई।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 08:06 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 08:06 AM (IST)
कागज पर ही काम कर रही मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी की एडवाइजरी कमेटी
दो साल में कमेटी की एकमात्र बैठक गठन के समय हुई थी। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। स्मार्ट सिटी मिशन की निगरानी के लिए अगस्त 2018 में 15 सदस्यीय एडवाइजरी कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी में शहरी क्षेत्र से जुड़े सांसद, विधायक, महापौर, उपमहापौर समेत विभिन्न क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को रखा गया था। स्मार्ट सिटी कंपनी में इस कमेटी का प्रावधान किया गया है। समय-समय पर कमेटी की बैठक कर स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जाना था। लेकिन गठन के बाद से कमेटी कागज पर चल रही है। दो साल में कमेटी की एकमात्र बैठक गठन के समय हुई थी। उसके बाद न तो कमेटी की बैठक हुई और न ही उससे किसी प्रकार की राय ली गई।

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ये हैं कमेटी में शामिल

कमेटी में स्थानीय सांसद अजय निषाद, विधायक विजेंद्र चौधरी, मेयर सुरेश कुमार, डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला, डीएम डा. चंद्रशेखर सिंह , स्मार्ट सिटी कंपनी एसपीभी के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के साथ-साथ आर्किटेक्ट विपुल प्रकाश सिंह, नार्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य रमेश टिकमानी, स्लम लेवल फेडरेशन के प्रतिनिधि सुरेश चौधरी उर्फ भोला चौधरी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेवानिवृत डीजीएम बागेश्वरी शरण, चार्टड अकाउंटेंट नितिन बंसल, आरबीबीएम कॉलेज की प्राचार्या डॉ. ममता रानी, एमआइटी के प्राचार्य, एमआइटी के सेवानिवृत प्राध्यापक श्रीप्रकाश, समाजसेवी इकबाल मोहम्मद समी एवं पूर्व रोटेरियन जेपी सिंह शामिल हैं।

कमेटी की राय महत्वपूर्ण

स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यान्वयन में एडवाइजरी कमेटी की राय महत्वपूर्ण है। साथ ही चल रहे कार्यों की निगरानी का जिम्मा भी इस पर है। प्रोजेक्ट तैयार करने से पूर्व कंपनी को कमेटी की भी राय लेनी पड़ेगी। यदि कमेटी किसी प्रोजेक्ट में अपनी अलग राय देती है, तो उसे भी प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा।

गठन को लेकर हुआ था विवाद

स्मार्ट सिटी को चयनित सभी शहरों में एडवाइजरी कमेटी का गठन हो चुका था, लेकिन यहां विवादों में फंसा था। निगम को अप्रैल 2018 में ही इसका गठन कर लेना था, लेकिन चार माह बाद भी गठन नहीं होने पर केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने नाराजगी जताते हुए 4 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया तब जाकर अगस्त 2018 में इसका गठन हुआ था। 


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