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मधुबनी की करीब एक हजार महिलाएं आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को आगे बढ़ा रहीं

यहां की एक हजार महिलाएं मशरूम उत्पादन से जुड़ीं। करीब नौ माह के एक सीजन में मशरूम उत्पादन से 75 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक की कमाई हो जाती है। इस अनुपात में आनेवाली लागत 10 से 15 फीसद होती है जबकि शारीरिक श्रम भी ज्यादा नहीं होता है।

By Ajit kumarEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 08:57 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 08:57 AM (IST)
मधुबनी की करीब एक हजार महिलाएं आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को आगे बढ़ा रहीं
वर्ष 2008 से मशरूम उत्पादन से जुड़कर अन्य लोगों को इसकी प्रेरणा दे रहीं। फोटो : जागरण

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। जिले की एक हजार से अधिक महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की कहानी गढ़ रहीं। इसमें वे अकेली भूमिका में हैं। अब इन्हें रुपये के लिए घर के पुरुष या महाजन का मोहताज नहीं होना पड़ता। वे बच्चों की पढ़ाई और घर के अन्य खर्च भी उठाती हैं। वर्ष 2008 से मशरूम उत्पादन से जुड़कर खुद को आत्मनिर्भर बनाते हुए अन्य लोगों को इसकी प्रेरणा दे रहीं। जिले के खजौली, राजनगर सहित पांच प्रखंडों की महिलाएं बगैर खेत मशरूम का उत्पादन कर रही हैं। आवासीय परिसर में मशरूम उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रहीं खजौली की लक्ष्मी कुमारी, बौकी देवी, अंजना देवी, सरिता देवी, रेणु देवी, सीता देवी, इंदिरा देवी, कुमारी पुष्प लता, रामकुमारी देवी, रानी देवी, जलेश्वरी मीना देवी, करुणा देवी, राजो देवी आदि का कहना है कि करीब नौ माह के एक सीजन में मशरूम उत्पादन से 75 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक की कमाई हो जाती है। इस अनुपात में आनेवाली लागत 10 से 15 फीसद होती है, जबकि शारीरिक श्रम भी ज्यादा नहीं होता है। 

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मांग बढऩे से मशरूम उत्पादन में इजाफा

शाकाहारी व्यंजन में शामिल मशरूम को काफी पंसद किए जाने से इसकी मांग बढ़ी है। इससे उत्पादन करने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा। मशरूम के साथ-साथ इसके अचार की भी मांग बढ़ी है। इन महिलाओं द्वारा प्रतिदिन डेढ़ से दो ङ्क्षक्वटल मशरूम तोड़ा जाता है। स्थानीय स्तर पर इसकी बिक्री डेढ़ से दो सौ रुपये प्रतिकिलो के मूल्य पर होती है।

मशरूम का ऑनलाइन ऑर्डर

मशरूम के शौकीनों तक इसे उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन सिस्टम को अपना लिया गया है। मशरूम उत्पादन करनेवाली महिलाओं के मोबाइल पर मशरूम व इसके अचार का ऑर्डर मिलते ही स्वजन उपभोक्ताओं तक उपलब्ध करा देते हैं। उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान ऑनलाइन कर दिया जाता है।

कम लागत, सहज उत्पादन, बेहतर आमदनी

भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी से प्रशिक्षित किसान बिलट प्रसाद ङ्क्षसह ने बताया कि मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में खजौली सहित जिले की महिलाएं बेहतर आमदनी की मिसाल कायम कर रही हैं। मशरूम उत्पादन काफी सहज होने से कोई भी व्यक्ति अपने घर में इसका उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर सकता है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रागिनी कुमारी ने कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम में वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती है। हृदय के लिए मशरूम का सेवन उपयुक्त माना गया है। सभी लोगों को मशरूम का सेवन करना चाहिए।

मधुबनी के जिला उद्यान पदाधिकारी राकेश कुमार जिले की महिलाएं मशरूम उत्पादन कर मिसाल कायम कर रही हैं। अन्य लोगों को इस ओर आकर्षित किया है। मशरूम उत्पादकों को विभागीय स्तर पर 90 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है।  


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