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Lockdown Effect: लॉकडाउन में बंजारों की जिंदगी 'लॉक', मेहनत कर खाने वाले आज हाथ फैलाने को विवश

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर व मुरादाबाद के लगभग 80 बंजारे मोतिहारी शहर में ठहरे। मेहनत कर जीवन चलाने वाले ये लोग भीख मांग पेट की आग शांत करने को विवश।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 04:56 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 04:56 PM (IST)
Lockdown Effect: लॉकडाउन में बंजारों की जिंदगी 'लॉक', मेहनत कर खाने वाले आज हाथ फैलाने को विवश
Lockdown Effect: लॉकडाउन में बंजारों की जिंदगी 'लॉक', मेहनत कर खाने वाले आज हाथ फैलाने को विवश

पूर्वी चंपारण, शशिभूषण कुमार। उत्तर प्रदेश के दो जिलों से पूर्वी चंपारण आए बंजारों की जिंदगी लॉकडाउन में 'लॉक' हो गई है। भोजन के लाले पड़ गए हैं। हाल यह है कि मेहनत कर खाने वाले ये बंजारे आज हाथ फैलाने को विवश हैं। सरकारी स्तर पर कोई मदद नहीं मिल रही।

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 मोतिहारी शहर में लगभग 80 बंजारे ठहरे हैं। एक टोली छोटा बरियारपुर के होमगार्ड मैदान में तंबू लगाकर रह रही तो दूसरी छतौनी स्थित सदर प्रखंड कार्यालय के समीप जर्जर भवन में। छतौनी में आश्रय लिए बंजारों की टोली उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से आई है। यहां के मंतोष बताते हैं कि 15 मार्च को मोतिहारी पहुंचे थे। अभी कारोबार शुरू ही किया था कि लॉकडाउन हो गया। जो 10 दिनों में कमाया था, खत्म हो गया। इस बीच किसी ने कुछ राशन दिया तो काम चला। अब मांगने की नौबत आ गई है। इनका पेशा कपड़े से बर्तन बदलना है। रिम्मी देवी कहती हैं कि अब तो भीख मांगने पर लोग भगा देते हैं। कुछ लोग दरवाजा तक नहीं खोलते। 50 दरवाजों पर जाने के बाद गिने-चुने लोग कुछ दे देते हैं। उससे किसी तरह काम चला रहे। सरकारी स्तर पर कोई सहायता नहीं मिली।

बच्चों को भी नहीं मिल रहा भरपेट भोजन

रुंधे गले से विनउती कहती हैं कि हमारी छोडि़ए, बच्चों को बीते दो हफ्तों से भरपेट भोजन नसीब नहीं हुआ है। यहां किसे जानते हैं? कोई पूछने वाला नहीं है। कोरोना को लेकर सभी सतर्क हैं। कोई अनजान को आसपास फटकने नहीं देना चाहता। ऐसे में भीख कौन दे? स्वास्थ्य की जांच भी नहीं कराई गई है। 

 दूसरी ओर, छोटा बरियारपुर स्थित मैदान में आश्रय लिए बंजारे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आए हैं। समूह की लज्जावती देवी, रामचरण, दिनेश, मोनी व गुडिय़ा का कहना है कि कुछ लोग खेतों से गेहूं की बालियां चुनते हैं। उससे गेहूं निकालते हैं। कुछ सुबह-शाम मांगने जाते हैं। इससे किसी तरह पेट की आग शांत कर रहे। 

मोतिहारी सदर के अनुमंडल पदाधिकारी प्रियरंजन राजू का कहना है कि छतौनी बस स्टैंड परिसर में राहत शिविर चल रहा। लोग वहां जाकर भोजन कर सकते हैं। जो लोग राहत शिविर में भोजन नहीं करना चाहते, वे समाहरणालय स्थित कार्यालय में आवेदन दे सकते हैं। उन तक सरकारी स्तर पर राशन पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।


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