शिवहर का एक ऐसा गांव जो ग्रामीणों की जागरूकता की वजह से संक्रमण से सुरक्षित
शिवहर का परिहारा और कुंडल गांव अब तक कोरोना संक्रमण से दूर है। ग्रामीण दिनचर्या बदलने के साथ प्राकृतिक चीजों का कर रहे सेवन। गांव से बाहर नहीं निकलने दो गज की दूरी का पालन करने मास्क व मास्क के बदले गमछे का प्रयोग करना शुरू कर दिया।
शिवहर, [नीरज]। जिले का परिहारा गांव। ग्रामीणों की जागरूकता और अनुशासन की वजह से कोरोना की दूसरी लहर में भी यहां कोई संक्रमित नहीं हुआ। यह अन्य गांवों के साथ शहर के लिए आदर्श प्रस्तुत कर रहा।
जिला मुख्यालय से सात किमी दूर बसे तकरीबन 500 की आबादी वाले इस गांव के ज्यादातर लोग किसानी पर निर्भर हैं। जैसे ही कोरोना की दूसरी लहर आई, ग्रामीण सचेत हो गए। परदेस में रहने वाले प्रवासियों को वहीं रोक दिया। दिनचर्या बदल दी। बेवजह गांव से बाहर नहीं निकलने, दो गज की दूरी का पालन करने, मास्क व मास्क के बदले गमछे का प्रयोग करना शुरू कर दिया। हाथों की साबुन से समय-समय पर धुलाई कर रहे हैं। इसके अलावा खानपान पर भी खासा ध्यान दे रहे हैं। आंवला, पपीता, नींबू का सेवन नियमित रूप से कर रहे हैं। साथ ही खेतों में पसीना बहा रहे। नंदू राय व ब्रजबिहारी राय बताते हैं कि हम प्रकृति की गोद में उसके साथ तालमेल बिठाकर सुरक्षित हैं।
नीम की दातुन और पत्तियों का उपयोग
कुछ ऐसी ही तस्वीर है कुंडल गांव की। यह गांव सीतामढ़ी के बेलसंड और शिवहर के बीच बसा है। तीन हजार की आबादी वाला यह गांव कृषि और पशुपालन पर आधारित है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच ग्रामीण घरों में कैद हो गए हैं। यहां के लोग नीम की दातुन करते हैैं। नीम की नरम पत्तियां खा रहे। पपीता की पत्तियां उबालकर उसका पानी पीते हैं। तुलसी का काढ़ा और सहजन का जूस ले रहेे। एलोवेरा, पुदीना, गिलोय, लहसुन, अदरक और हल्दी का उपयोग कर रहे। स्वयंसेवी संस्थाएं गांवों में जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही मास्क व सैनिटाइजर बांट रही हैं। संजय सिंह बताते हैं कि ग्रामीण कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन कर संक्रमण को फटकने नहीं दे रहे। जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज कुमार मिश्रा बताते हैं कि आबादी का कम घनत्व और जागरूकता से संक्रमण नहीं है।