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पश्चिम चंपारण में एक ऐसा अस्पताल जहां एएनएम के भरोसे प्रसव

सरकारी व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा। बानगी के तौर पर पीएचसी दहवा को लिया जा सकता है। यहां चिकित्सकों के 13 पद सृजित हैं। लेकिन पदस्थापना पांच की है। इनमें भी एक कागजी कार्याें में व्यस्त रहते। शेष चार चिकित्सक विशेष परिस्थिति में ही मरीजों का इलाज करते।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 04:29 PM (IST)
पश्चिम चंपारण में एक ऐसा अस्पताल जहां एएनएम के भरोसे प्रसव
पश्चिम चंपारण के दहवा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। जागरण

पश्चिम चंपारण, जागरण संवाददाता ।  स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली का मंजर देखना हो तो गंडक पार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भ्रमण कर लीजिए। सरकारी व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा। बानगी के तौर पर पीएचसी दहवा को लिया जा सकता है। यहां चिकित्सकों के 13 पद सृजित हैं। लेकिन, पदस्थापना पांच की है। इनमें भी एक कागजी कार्याें में व्यस्त रहते। शेष चार चिकित्सक विशेष परिस्थिति में ही मरीजों का इलाज करते। अन्यथा अमूमन प्रसव के लिए लाई जाने वाली महिलाओं की देखरेख का जिम्मा एएनएम के भरोसे होता है। कारण यहां महिला चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं।  प्रखंड की आबादी 50 हजार है। गंभीर स्थिति में पीएचसी के चिकित्सक मरीज को यूपी के पडरौना या गोरखपुर रेफर कर देते। सरकार की इस नाकामी का फायदा झोलाछाप उठाते हैं। मधुबनी प्रखंड में आधा दर्जन से अधिक ऐसे क्लीनिक संचालित हो रहे । जहां बिना किसी डिग्री के ऑपरेशन तक होता। 

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चिकित्सक के 13 व एएनएम के 21 पद सृजित 

पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अनुसार यहां चिकित्सक के 13 व एएनएम के 21 पद सृजित हैं। इसके मुकाबले महज पांच चिकित्सक पदस्थापित हैं। महिला चिकित्सक व शिशु रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना नहीं है। अस्पताल में एक्सरे मशीन, टीवी जांच, कोविड-19 ,एचआइवी, बीपी व शुगर की जांच की जाती है। अस्पताल में सांप और कुत्ता काटने पर इंजेक्शन भी लगाया जाता है। परंतु चिकित्सकों की कमी से मरीज परेशान होते हैं। 

कहते हैं स्थानीय लोग :- 

 अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मेहीलाल चौधरी ,दर्शन राम, ओम प्रकाश यादव व सीताराम साहनी ने बताया कि ओपीडी में इलाज कराने के बाद उन्हें प्रबंधन ने दवा उपलब्ध कराई। बच्चे के इलाज के लिए आए एक अभिभावक ने कहा कि शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। इस कारण उन्हें पडरौना जाना पड़ रहा। मरीजों ने कहा कि एक महिला चिकित्सक की पदस्थापना भी आवश्यक है। कारण कि 10 पंचायतों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस प्रखंड में गंभीर स्थिति होने पर महिला मरीजों को यूपी के अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता। 

कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी :- 

अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों की मदद से मरीजों का इलाज किया जाता। चिकित्सकों की पदस्थापना के लिए कई बार पत्राचार किया जा चुका है। 

डॉ. बालेश्वर शर्मा, चिकित्सा पदाधिकारी, दहवा 


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