एक दशक बाद अक्षय तृतीया पर सुंदर संयोग, होगा काफी फायदेमंद
अक्षय तृतीया सात मई को। शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त इस दिन बिना विचारे कर सकते कोई भी मांगलिक कार्य।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। इसे अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, यह एक अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस दिन बिना किसी सोच-विचार के कोई भी मांगलिक कार्य कर सकते हैं। इस साल यह 7 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा। पंडित प्रभात मिश्र बताते हैं कि इस बार खास बात यह है कि इस दिन करीब एक दशक बाद चार ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है, जो काफी फायदेमंद हो सकता है।
इससे पूर्व वर्ष 2003 में पांच ग्रहों का ऐसा योग बना था। इस साल एक बार फिर ऐसा संयोग बनेगा, जब चार ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहु, अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो मानव जीवन पर इनका प्रभाव बेहतर होगा। हालांकि कुंडली के हिसाब से ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं।
व्यर्थ नहीं जाते इस दिए किए जाने वाले शुभ कार्य
श्री मिश्र बताते हैं कि अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले शुभ कार्य अथवा दान-पुण्य व्यर्थ नहीं जाते। त्रेता युग का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है। भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। साथ ही मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास चलन है। कहते हैं कि इस दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सारे पाप खत्म हो जाते हैं।
सोना खरीदने का है विधान
अक्षय तृतीया के दिन सोना अथवा चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है। कई लोग घर में बरकत के लिए इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते और उसकी नियमित पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए किसी ब्राह्मण को जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि दान करने चाहिए। चूंकि कन्या दान सभी दानों में महत्वपूर्ण बताया गया है, इसलिए इस दिन लोग शादी-विवाह का विशेष आयोजन करते हैं।