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सीतामढ़ी में आठ महीने में 52 हत्या, 36 लूट, 201 अपहरण, 34 लूट और दुष्कर्म की 37 वारदात

अगस्त तक के आंकड़े ही पुलिस की सुस्ती और अपराधियों के बुलंद हौंसले की खोल रहे पोल परिहार में दो बार डकैती सोनबरसा में डकैती का प्रयास कहीं हत्या तो कहीं लूट व चोरी से सहमे आम लोग। Crime News

By DharmendraEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 02:38 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 02:38 PM (IST)
2020 अब अपने समापन की ओर है, मगर इन 11 महीनों में लोग भय एवं दहशत के आलम में रहेे।

सीतामढ़ी, जेएनएन। जागरण पड़ताल साल 2020 अब अपने समापन की ओर है, मगर इन 11 महीनों में आम अवाम आपराधिक वारदातों से भय एवं दहशत के आलम में रहा। अभी सिर्फ आठ माह के आंकड़े सामने आए हैं जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अपराधी कितने बेखौफ हो गए हैं और पुलिस कितना लाचार-परेशान है। पिछले आठ महीने के आपराधिक ब्योरे पर हम अगर गौर करें तो कलेजा कांप उठता है। इन 11 महीनों में 4429 संज्ञेय अपराध हुए हैं। उनमें हत्या के 52, लूट के 36, चोरी के 405, अपहरण के 201, दुष्कर्म के 37, सड़क लूट के 34 मामले शामिल हैं। पुलिस हालांकि, इस बात को लेकर इत्मिनान है कि इन 11 महीनों में डकैती, फिरौती के लिए अपहरण, रोड डकैती, बैंक डकैती, बैंक लूट की कोई घटना नहीं हुई। हालांकि, इसी महीने परिहार में हफ्तेभर के अंतराल पर डकैती की दो बड़ी घटनाएं हुईं। उनमें 25 लाख से अधिक की संपत्ति लूट ली गई। सोनबरसा थाना क्षेत्र में भी एक व्यवसायी के घर डकैती का प्रयास हुआ।

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दोनों घटनाओं के दौरान डकैतों ने ताबड़तोड़ कई बम विस्फोट भी किए जिससे सहज ही समझा जा सकता है कि पुलिस को लेकर उनमें कितना भय है। आपराधिक घटनाओं में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। अपराधी घटना को अंजाम देते हैं और आराम से चलते बनते हैं। पुलिस गश्‍ती की स्‍थिति बावजूद अपने ढर्रे पर ही रह गई। एसपी अनिल कुमार कहते हैं कि जो भी घटनाएं हुई हैं उनमें से अधिकतर का उदभेदन किया जा चुका है। ऐसा नहीं है कि पुलिस के हाथ से अपराधी बचकर निकल जाते हैं। पुलिस बिल्कुल चाक-चौबंद है। ठंड के इस मौसम में पुलिस और भी सतर्कता बरत रही है। शहरी क्षेत्र में थानाध्यक्षों को पैदल गश्ती करने का आदेश दिया गया है।

लॉकडाउन में मशहूर कारोबारी प्रभास हिसारिया की हत्या ने खोली पुलिस की चुस्ती की पोल
मई महीने में लॉकडाउन के दौरान उत्तर बिहार के मशहूर कारोबारी प्रभास हिसारिया हत्याकांड ने सबको हिलाकर रख दिया. इस घटना ने पुलिस की चुस्ती की पोल खाेलकर रख दी। इस केस के उदभेदन के लिए तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय को पहुंचना पड़ा। उनके कैंप करने के बाद पुलिस ने हालांकि इस केस को सॉल्व भी किया। सीतामढ़ी के नगर थाना क्षेत्र के लोहा पट्टी इलाके में 20 मई को शहर के भीड़-भाड़ इलाके में बदमाशों ने प्रभास हिसारिया की गोली मार हत्या कर दी। तीन की संख्या में रहे नकाबपोश बदमाशों ने शहर के मशहूर व्यवसायी को निशाना बनाते हुए गोलियों से भून दिया. इस पूरी वारदात की तस्वीर सीसीटीवी में कैद हो गई। सितंबर माह में एडवोकेट क्लर्क की अपराधियों ने गोली मारी हत्या कर दी। बथनाहा थाना क्षेत्र के किशनपुर गांव के रहने वाले थे। उससे पहले अपराधियों ने सीएसपी संचालक की गोली मारकर हत्या कर दी और 5 लाख रुपए लूटकर फरार हो गए। 28 अगस्त को यह घटना रीगा थाने के गणेशपुर बभनगामा के समीप हुई।
 
बदलते दौर में पुलिस को भी खुद को बदलने की जरूरत
शहर के युवा वर्ग से लेकर बड़े-बुजुर्ग सबका यहीं कहना है कि बदलते दौर में पुलिस को भी खुद को बदलने की जरूरत है। पुलिस विभाग में जांच अधिकारियों को बदलते परिवेश और आपराधिक परिदृश्य के कारण बेहद प्रशिक्षण की जरूरत है। पुलिस सुधार के लिए आवश्यकता, चुनौतियां एवं समाधान पर काम करना होगा। पुलिस व्यवस्था को आज नई दिशा, नई सोच और नए आयाम की आवश्यकता है। बिहार में वैसे भी पुलिस की छवि तानाशाहीपूर्ण, जनता के साथ मित्रवत न होना और अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने की रही है। रोज़ ऐसे अनेक किस्से सुनने-पढ़ने और देखने को मिलते हैं, जिनमें पुलिस द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है। उधर, पुलिस कर्मी अपनी वर्तमान स्थिति के पीछे खुद को ही दोषी मान रहे हैं। वरिष्ठता को नजर अंदाज कर तैनाती मिलने, पदोन्नति अटकी होने, आर्थिक व अन्य तरीकों से शोषित होने की लाचारी से सिपाही से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक दो चार हैं।

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