West Champaran: रात में ' बचाओ बचाओ, अरे भागो रे भागे...' कहते हुए नींद से जाग जा रहे ग्रामीण
पश्चिम चंपारण के बेतिया में वीटीआर से भटकी बाघिन के डर से करीब 18 गांवों के लोगों में दहशत है। एक पखवारे में बाघिन के हमले में तीन लोगों की हो चुकी मौत लोग न तो मवेशियों को चराने सरेह की ओर जा रहे न ही चारे के लिए खेत।
नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण), जासं । वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से भटकी बाघिन के खौफ से गौनाहा व मैनाटांड़ प्रखंड के करीब 18 गांवों के लोग डरे हैं। यहां की तकरीबन 40 हजार की आबादी घरों में 'कैदÓ है। लोग न तो मवेशियों को चराने सरेह की ओर जा रहे, न ही चारे के लिए खेत। भिखनाठोरी, भतूजला, बलबल, भवानीपुर, मंगुराहां, जम्हौल, बनहवा मटियरिया, हरकटवा आदि गांव जंगल क्षेत्र में स्थित हैं। जबकि परसौनी, सूर्यपुर, एकवा, परसा खैरवा टोला, कैरी, बजनी, शेरपुर सिरिसिया सहित अन्य गांव जंगल से सटे हैं। पिछले एक पखवारे में बाघिन के हमले में परसौनी, हरकटवा व खैरटिया में तीन लोगों की मौत और तीन के घायल होने के बाद ग्रामीण भयभीत हैं। भतूजला निवासी रामलाल महतो का कहना है कि इन इलाकों में गन्ने की खेती होती है। जंगल से निकले जानवरों के छुपने के लिए सबसे उपयुक्त है। डर की वजह से वे खेत में नहीं जा रहे। चारा भी नहीं ला पा रहे। कलाम अंसारी कहते हैं कि बच्चों को बाहर नहीं निकलते दे रहे। एक दर्जन से अधिक स्कूलों में ताला लटक गया है।
बाघों पर नजर रखने को 150 ट्रैकर तैनात
मंगुराहा वन प्रक्षेत्र के रेंजर सुनील कुमार पाठक का कहना है कि बाघों पर नजर रखने को 150 ट्रैकर तैनात हैं। रिहायशी इलाके में बाघ के आने पर ट्रैकर उनका पगमार्क ट्रैक करते हैं। उसकी गतिविधि के आधार पर विपरीत दिशा की ओर मोड़ा जाता है। दिसंबर 2019 व जनवरी 2020 में रूपवलिया और मंगुराहा क्षेत्र में बाघ रिहायशी इलाके में रहा था। तब इसी तरह जंगल में भेजा गया था । पिछले तीन वर्षों में चार की मौत बाघ के हमले में हो चुकी है। 2018 में टहकौल की मेघिया देवी को बाघ ने मार डाला था । इस साल नौ फरवरी को हरकटवा में बाघिन ने छठी देवी, 12 फरवरी को परसौनी में दंपती अकलू महतो व रिखिया देवी को बाघिन ने मार डाला।