पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया पीएचसी में प्रतिमाह हुए 350 से 400 प्रसव, समय-समय पर होती गर्भवती महिलाओं की जांच
पूर्वी चंपारण का तुरकौलिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के लिए सुविधाओं और सेवाओं को लेकर बेहतर कार्य कर रहा है। गर्भवती व शिशुओं के बेहतर भविष्य के लिए संजीदा दिख रहे पीएचसी के चिकित्सक समय-समय पर होती गर्भवती महिलाओं की जांच।
मोतिहारी, जासं। पूर्वी चंपारण का तुरकौलिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के लिए सुविधाओं और सेवाओं को लेकर बेहतर कार्य कर रहा है। यहां जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य की पूरी देखभाल होती है। यह कहना है पीएचसी प्रभारी डॉ. रीना झा का। डॉ रीना झा कहती हैं कि यहां स्वच्छता के साथ कोरोना महामारी की रोकथाम के सारे निर्देशों का पालन किया जाता है। यहां मिलने वाली प्रमुख सुविधाओं में कोरोना जांच, एचआइवी जांच, ब्लड शुगर एवं बीपी जांच आदि शामिल है। इस कार्य में डॉ. सुनील कुमार, अकाउंटेंट प्रभात रंजन एवं डेटा ऑपरेटर विजय कुमार भी सहयोग करते हैं।
इस स्वास्थ्य केंद्र पर कोरोना महामारी के बीच इमरजेंसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं। गर्भवती महिलाओं की जांच कर सुरक्षित प्रसव सम्बंधित उचित सलाह तथा मुफ्त दवा दी जाती है। यहां सुबह से ही महिलाओं का आना शुरू हो जाता है। चिकित्सा कक्ष के बाहर महिलाएं कतार लगा कर जांच करवाती हैं। डॉ. रीना झा ने बताया कि प्रसव के लिए बरती जानेवाली सावधानी महिलाओं को बताई जाती है। गर्भवती महिलाओं की यूरिन, हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, वजन, बच्चे की स्थिति आदि की जांच की जाती है। जांच के बाद आवश्यकतानुसार लिखी दवाएं महिलाओं को मुफ्त दी जाती हैं। सुरक्षित प्रसव का पूरा ध्यान रखा जाता है। 36 प्रकार की दवाएं इस स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध हैं जिनका फायदा मरीजों को होता है।
प्रत्येक महीने होता है 350-400 प्रसव
डॉ सरिता ने बताया कि गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान कोई समस्या न हो और सुरक्षित प्रसव हो सके, इसका पूरा ध्यान स्वास्थ्य केंद्र में रखा जाता है। यहां महीने में 350 से 400 महिलाओं का प्रसव कराया जाता है। कैल्शियम व आयरन की गोली मुफ़्त दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है। प्रसव के बाद सरकारी सुविधाएं व योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है।
जीऐनएम नर्मदा कुमारी ने कहा कि महिला चिकित्सकों द्वारा जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं की हीमोग्लोबिन, ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर, एचआईवी की जांच कर उपचार किया जाता है। इस दौरान उन्हें पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है। जिससे कि उनमें एनीमिया की समस्या को दूर किया जा सके। जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को स्तनपान का महत्व भी समझाया जाता है कि शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार होता है। जन्म के पश्चात छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान ही करवाना चहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टर, नर्सों के साथ आशा का भी अहम योगदान है। ये लेबर रूम में गर्भवती महिलाओं को धैर्यपूर्वक समझाती हैं कि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें क्या-क्या करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को कोविड के नियमों की दी जाती है जानकारी
- व्यक्तिगत स्वच्छता और दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखें।
- बार-बार हाथ धोने की आदत डालें। साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल से ढकें।
- घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।
- आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें।
- मास्क को बार-बार छूने से भी बचें।
- किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बातचीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों।
- बाहर से घर आने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें।