Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में पोलियो दवा के डिब्बों मे मिली टूटी वायल, सिविल सर्जन ने मांगी रिपोर्ट
Muzaffarpur News पोलियो की टूटी वायल की आपूर्ति शीतचक्र टूटने का बढ़ा खतरा। वैशाली भेजी गई दवा तो सामने आया मामला सरकार को भेजी रिपोर्ट । सिविल सर्जन बोले दवा की गुणवत्ता को लेकर बढ़ी परेशानी ।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पल्स पोलियो अभियान के लिए जिले में पहुंचे दवा के डिब्बों मे टूटी वायल मिल रही हैं। एक कार्टन में एक हजार वायल की क्षमता है। जांच में हर कार्टन में 50 से सौ के बीच टूटी वायल मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है। पल्स पोलियो की खुराक में शीतचक्र दवा निर्माण कंपनी से लेकर वितरण सेंटर तक रहना जरूरी है। लेकिन, अभी कंपनी से दवा जिले के केंद्रीय गोदाम पहुंचने के बाद ही शीतचक्र टूटने की बात सामने आ रही है। सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। सभी रिपोर्ट राज्य मुख्यालय भेजी जाएंगी।
ऐसे सामने आया मामला
29 नवंबर से पल्स पोलियो अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए सदर अस्पताल परिसर के क्षेत्रीय केंद्रीय दवा भंडार से मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी व वैशाली जिले के लिए दवा का वितरण किया जाता है। जानकारी के अनुसार इस बार अभियान के लिए सेंट्रल गोदाम में 900 कार्टन दवा आई है। एक कार्टन में एक हजार पैकेट रहते हैं। हर छोटे पैकेट में 50-50 पीस वायल रखी जाती हैं। इस बार के अभियान के लिए सेंट्रल गोदाम से वैशाली जिले को पोलियो की वायल भेजी गई। उसके बाद मुजफ्फरपुर के लिए तैयारी चल रही थी। इस बीच 18 नवंबर को जब कर्मियों ने डिब्बा खोला तो उनके होश उड़ गए।
हर पैकेट में टूटी वायल मिलीं। इसकी जानकारी वरीय अधिकारी को दी। गुरुवार को जब सिविल सर्जन ने पल्स पोलियो अभियान की समीक्षा की तो यह शिकायत सामने आई। उन्होंने तुरंत टूटी वायल की तस्वीर व रिपोर्ट मांगी और जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को राज्य मुख्यालय रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया। इस बीच सीएस ने जितनी भी टूटी वायल हैं उनकी गणना कर निर्माता कंपनी को रिपोर्ट भेजने को कहा है, ताकि दो से तीन दिन के अंदर दवा की खुराक आ जाए।
ऐसे बढ़ रहा खतरा
सेंट्रल गोदाम में हर डिब्बे को खोलकर टूटी वायल की पहचान की जा रही है। इससे डिब्बे को डीप फ्रीजर से बाहर रखना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक दवा की वायल बाहर रखने पर शीतचक्र टूटने का खतरा रहता है। मानक के हिसाब से दवा को फैक्ट्री से कोल्ड चेन वैन से लाया जाता है। वैन से दवा उतारकर सीधे डब्ल्यूआइसी में रखी जाती है। उसके बाद वहां से पीएचसी और फिर वहां से दवा खुराक वितरण के लिए जाती है तो उसे कोल्ड बॉक्स में रखा जाता है। कोल्ड बॉक्स में उतनी ही वायल रहती हैं जिसकी खपत छह से आठ घंटे तक हो जाए। दवा को आइएलआर में पल्स दो से आठ डिग्री तापमान के बीच रहना चाहिए। अब जब दवा के टूटे वायल की छंटनी हो रही तो शीतचक्र का पालन करने पर सवाल उठ रहा है।
एजेंसी की कार्यशैली पर सवाल
सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि टूटी वायल की आपूर्ति करना पूरी तरह से लापरवाही है। आपूर्ति करने वाली एजेंसी की कार्यशैली पर सवाल है। राज्य मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है। टूटी वायल की छंटनी में शीतचक्र के मानक का पूरा पालन किया जा रहा है। अभियान 29 से है। दवा की कमी नहीं होगी। वह खुद आश्चर्य में हैं कि टूटी वायल यहां पर कैसे आ गईं।