विश्व के 25 प्रतिशत लोगों के पास स्वास्थ्य के अनुकूल घर नहीं, क्या है आपके लिए इसका मतलब?
प्रो. मनेन्द्र कुमार ने कहा कि अभी भी लैंगिक असमानता है। महिलाओं की आय पुरुषों से काफी कम है। उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या बहुत कम है। जलवायु परिवर्तन के कारण पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है। इस ज्वलंत समस्या पर विचार आवश्यक है।
मुजफ्फरपुर,जासं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडीसी में समाज विज्ञान में आनलाइन रिफ्रेशर पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई । उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो.रास बिहारी प्रसाद सिंह थे । बीआरएबीयू के कुलपति प्रो.हनुमान प्रसाद पांडेय ने अपने संदेश में प्रतिभागियों के उज्जवल भविष्य की कामना की । उद्घाटन सत्र में निदेशक प्रो. मनेन्द्र कुमार ने रिफ्रेशर पाठ्यक्रम और मुख्य विषय कंटेम्पोररी इसूज इन सोशल साइंसेज के बारे में जानकारी दी । कहा कि पूरे विश्व में सामाजिक मुद्दे हैं जिसपर समाज विज्ञान विशेषज्ञों को अपनी राय और समस्या के समाधान का प्रस्ताव सरकार को देना चाहिए ।
मौलिक अंत:संबंधों को समझना जरूरी
कहा कि विश्व के 25 प्रतिशत लोगों को रहने के लिए ऐसा घर नहीं है जो स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए अनुकूल हो। जलवायु परिवर्तन के कारण पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है। इस ज्वलंत समस्या पर विचार आवश्यक है। अभी भी लैंगिक असमानता है। महिलाओं की आय, पुरुषों से काफी कम है। उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या बहुत कम है। समाज विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो.अजीत कुमार ने कहा समाज विज्ञान की विविध विधाओं के बीच मौलिक अंत:संबंधों को समझना जरूरी है। मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता प्रो. रासबिहार प्रसाद ङ्क्षसह ने ज्ञान के अर्थशास्त्र में शोधकत्र्ता की विद्वता महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से आज तक जो महामारी आई है, उसके पीछे सामाजिक परिवर्तन का हाथ है। सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है। संचालन कोर्स समन्वयक डा.राकेश कुमार ङ्क्षसह ने व धन्यवाद ज्ञापन डा.रेखा श्रीवास्तव ने किया। दूसरे सत्र के वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मनमोहन कृष्णा थे। इन्होंने समाज की आर्थिक समस्या एवं राष्ट्र की आर्थिक स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। पाठ्यक्रम का समापन 28 जनवरी को होगा। इसमें बिहार, झारखंड, उत्तराखंड एवं कर्नाटक के विभिन्न विश्वविद्यालयों से 42 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।