जल होगा संरक्षित, तभी भविष्य होगा सुरक्षित
मुंगेर। गंगा इलाके में पड़ने वाले पंचायतों में गिरते भूजल स्तर और खत्म होते जलाशयों के चलते जल संकट द
मुंगेर। गंगा इलाके में पड़ने वाले पंचायतों में गिरते भूजल स्तर और खत्म होते जलाशयों के चलते जल संकट दिनोंदिन गहरता जा रहा है। भविष्य में संकट और बढ़ने के आसार हैं। पीने के पानी से लेकर ¨सचाई तक की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। ग्रामीणों ने जलाशयों के जीर्णोद्वार और जल संरक्षण के लिए मुहिम शुरु की है। ग्रामीणों की मानें तो पंचायतों में पेयजल संकट किसी से छिपा नहीं है। वर्षा जल संचयन नहीं हो पाने और भू जल के अत्यधिक दोहन के चलते पानी पताल की ओर जा रहा है। कई जगहों पर तो भूजल स्तर इतना गिर गया है कि ट्यूबवेल भी सूख गए हैं। वहीं यहां के जलाशय विलुप्त होते जा रहे हैं। जलाशयों के जीर्णोद्वार, वर्षा जल संचयन और गंगा में कचरा गिराए जाने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। नहीं तो जल संकट आने वाले दिनों में और ही भयावह हो जाएगा। कुएं, तालाब जैसे प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख रहे हैं। घटते वन्य क्षेत्र और वर्षा की कमी के चलते जल संकट बढ़ रहा है। वहीं, उद्योगों के दूषित पानी की वजह से गंगा का पानी प्रदूषित हो रहा है। अगर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में लोग बूंद-बूंद के लिए तरस जाएंगे।