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सिचाई हर चुनाव में बनता है मुद्दा, जर्जर कॉजवे बता रही है हकीकत

मुंगेर । तारापुर अनुमंडल के तीन प्रखंड तारापुर संग्रामपुर असरगंज तथा बांका जिला के बेलहर

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 08:35 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 08:35 PM (IST)
सिचाई हर चुनाव में बनता है मुद्दा, जर्जर कॉजवे बता रही है हकीकत
सिचाई हर चुनाव में बनता है मुद्दा, जर्जर कॉजवे बता रही है हकीकत

मुंगेर । तारापुर अनुमंडल के तीन प्रखंड तारापुर, संग्रामपुर, असरगंज तथा बांका जिला के बेलहर एवं शंभुगंज प्रखंड की सीमा के बीचोंबीच बहने वाली बडुआ नदी इलाके के किसानों के लिए जीवनदायिनी मानी जाती है। किसानों के खेतों की सिचाई का मुख्य साधन बड़ुआ नदी ही है। बरसात के दिनों में इसके चालू हो जाने के बाद इससे निकलने वाली छोटी-छोटी नदियों में भी पानी जाने से इलाके के किसानों की खेती की सिचाई आसानी से होती थी। परंतु नदी बेसिन से बालू के उठाव होने के कारण धीरे-धीरे सहायक नदियों में नदी का पानी जाना बंद हो गया। इससे निकलने वाली डांड़ भी मृत होने लगी। निचले इलाके में नहर का पानी पहुंचने में कठिनाई होने लगी तथा नदी का पानी बहकर गंगा में विलीन हो बर्बाद हो जाता है। इसी को ध्यान में रखकर 35 वर्ष पूर्व तारापुर के समीप छत्रहार बडुआ तट पर कॉजवे का निर्माण कराया गया था । इससे जहां मुंगेर जमुई के लोगों को बांका जाने के लिए एक नजदीकी मार्ग मिल गया। वहीं, फाटक लग जाने के कारण नदी से बर्बाद होने वाला पानी लिफ्ट होकर खैराती एवं अठोरिया केनाल के माध्यम से निचले इलाके के खेतों तक पहुंचने लगा। परंतु यह कॉजवे विभागीय उदासीनता तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि के रुचि नहीं लेने के कारण जर्जरावस्था में पहुंच चुका है। वर्तमान में इसकी जल्द मरम्मती नहीं होने से लाखों की आबादी का कनेक्टिविटी तथा हजारों एकड़ भूमि की सिचाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वर्तमान चुनाव में यह ज्वलंत मुद्दा बन सकता है। सिचाई का मुद्दा तारापुर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक चुनाव में मुद्दा बनते रहा है। नेताजी घोषणा और वायदों की झड़ी भी लगाते रहे, लेकिन धरातल पर तस्वीर नहीं बदली।

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कोट

एक कृषि वैज्ञानिक के नाते किसानों का हितों को प्रति मैं सदैव सजग रहता हूं। एक लाभप्रद खेती अच्छे उत्पादन एवं उत्पादकता पर निर्भर करती है। यह उत्पादन और उत्पादकता सीधे तौर से सिचाई पर निर्भर करती है। जिस क्षेत्र में सिचाई की एक समुचित व्यवस्था हो तो वहां के किसान अवश्य खुशहाल होते हैं। छत्रहार कॉजवे के जीर्णोद्धार कार्य अतिशीघ्र होंगे। इसके लिए कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिए गए हैं। अपने कार्यकाल के दौरान मैंने अनेकों सिचाई संबंधित कार्य कराए। खड़गपुर झील के पुनस्र्थापना एवं जीर्णोद्वार कार्य, खैरा ग्राम के निकट गंगटी नदी पर चेक डैम का निर्माण, बदुआ जलाशय के सु²ढ़ीकरण के लिए नौ करोड की स्वीकृति दिलाई। जिसका कार्य प्रगति पर है। हनुमना डैम एवं इससे निकलने वाली नहरों का स्थापन कार्य, दुरमट्टा में झगड़हवा चेक डैम का निर्माण कार्य, असरगंज प्रखंड अंतर्गत खैराती डांड उपवितरणी के समानांतर चेन संख्या 200 से 230 के बीच आरसीसी नाला का निर्माण कार्य, नोनाजी पंचायत में मध्यम सिचाई योजना का जीर्णोद्धार कार्य, धौनी पोखर का जीर्णोद्धार कार्य, लौना के चम्भा पोखर की खुदाई कार्य, सिचाई नाला जल संरक्षण के लिए पैन आदि अनेकों महत्वपूर्ण कार्य कराए गए।

डॉ. मेवालाल चौधरी, विधायक तारापुर

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कोट :

मैंने मुंगेर जमुई, बांका और भागलपुर के मध्य स्थित तारापुर के पास बडुआ नदी में छत्रहार कॉजवे बनवाया। इससे निचले इलाके में जहां पानी आसानी से नहीं पहुंचता था, वहां भी पानी पहुंचने लगा। यातायात और सिचाई दोनो का काम इस कॉजवे से होता है। परंतु पिछले दस वर्षो में इसके जीर्णोद्धार की दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ। यह ध्वस्त होने होने के कगार पर है और इसके क्षतिग्रस्त होने पर तारापुर से उत्तरी भाग तक सिचाई बुरी तरह प्रभावित होगी। बडुवा नदी से छोटी छोटी नदियों में पानी का बहाव बरसात में होता था तथा डैम में रिजर्व पानी रखा जाता था। सिचाई परियोजना पर विगत 10 वर्षों में किसी भी प्रकार का स्थाई कार्य नहीं होने से नदी का पानी बर्बाद चला जाता है। नदी के जल का समुचित उपयोग कराने की दिशा में अब तक की बनी संरचना बेकार हो गई है। जिस को पुनर्जीवित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।

शकुनी चौधरी, पूर्व मंत्री


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