बेंच-डेस्क की कमी, फर्श पर संवर रहा भविष्य
संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर): बच्चों को शिक्षित करने के लिए जहां सरकार की ओर से सर्वशिक्षा अभियान
संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर): बच्चों को शिक्षित करने के लिए जहां सरकार की ओर से सर्वशिक्षा अभियान सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं, सरकारी स्कूलों में सुविधाओं का घोर अभाव है, जिससे विद्यार्थियों को शिक्षा हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कहीं शिक्षकों की कभी तो कई जगहों पर संसाधनों का अभाव है। मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम धरहरा प्रखंड के मध्य विद्यालय सराधी पहुंची। विद्यालय एक कमरे में तीन वर्ग के बच्चे एक साथ बैठे थे। कक्षा छह, सात और आठ के विद्यार्थी एक साथ बैठकर पढ़ाई करते दिखे, जबकि तीनों वर्ग का पाठ्यक्रम और किताबें अलग-अलग है। वही तीन, चार, पांच, भी एक साथ बैठकर पढ़ाई करते दिखे। इन बच्चों का भविष्य अधर में दिखा। पुरुष शिक्षक पढ़ाते दिखे। पूछने पर मालूम चला कि एक शिक्षक अवकाश पर है, ऐसे में तीनों वर्ग के बच्चों को एक ही कमरे में पढ़ाया जा रहा है। एक तरह से कहा जाए तो कुव्यवस्था के बीच बच्चों को पढ़ना मजबूरी है। जिला शिक्षा विभाग का इस तरफ ध्यान नहीं गया है।
------------------------------------------------- बेंच-डेस्क की कमी भले ही सरकारी विद्यालय की चमक बाहर से दिखे, लेकिन अंदर जाने पर हकीकत दिखने लगती है। विद्यालय के छात्र-छात्राएं कहते हैं कि विद्यालय में ना ही बेंच-डेस्क पर्याप्त हैं, ना ही शिक्षक पर्याप्त हैं, जिस वजह से हम शिक्षा गुणवत्तापूर्ण ठीक से प्राप्त नही कर पाते हैं। परंतु सुविधाओं का घोर अभाव है। अधिक छात्राएं होने के बावजूद छात्राओं के लिये मात्र एक शौचालय ही हैं। वही बेंच डेस्क के अभाव में गर्मी में तो जैसे तैसे फर्श पर बैठ पढ़ लेते हैं, परंतु ठंड के दिनों में काफी समस्या होती है। ---------------------------------------
बच्चों में दिखे उत्तम संस्कार
अब हम पाचवी कक्षा में हैं जहा बच्चें फर्श पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। अंदर जाने पर बच्चे खड़े होकर गुड मार्निंग सर कहते हैं। बच्चों से नीचे क्यों बैठे हो पूछने पर बच्चे कहते हैं कि केवल छठी से ऊपर की कक्षा के बच्चे ही बेंच डेस्क पर बैठते हैं। बाकी एक से पाच तक के बच्चे तो पिछले कई वर्षो से फर्श पर ही बैठते हैं। हालाकि फर्श पर बैठ पढ़ने के बावजूद बच्चो में पढ़ाई को लेकर काफी उत्साह देखा गया। बच्चे छोटे हैं, लेकिन काफी हाजिर जवाब हैं।
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बच्चों ने दिए फटाफट जवाब
टीम कक्षा संचालन और संसाधनों से रूबरू होने के बाद बच्चों के पास पहुंची। कक्षा छह, सात और आठ में पढ़ रहे बच्चों से टीम ने कुछ सवाल पूछा। सभी सवालों का जवाब कुछ बच्चों ने फटाफट दिया तों कुछ बच्चे एक मिनट सोच कर दिए। सवालों का जवाब मिलने से एक बात तो साफ है कि बच्चों में पढ़ने की ललक है, जरूरत है तो शिक्षकों की संख्या बढ़ाने का।
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कई विषयों में शिक्षक नहीं
40 छात्रों पर एक शिक्षक हैं। बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की काफी कमी है। शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय में मात्र तीन ही शिक्षक हैं। एक शिक्षक अबकाश पर है, यही शिक्षक उलटफेर कर अलग-अलग विषयों को पढ़ाते हैं। इस स्थिति से साफ पता लगाया जा सकता है कि कई विषयों की पढ़ाई यहां बाधित हो रही है। ऐसे में नौनिहालों का भविष्य कैसे सुधरेगा। यह सवाल गूंज रहा है। छात्राओं ने बताया कि अलग-अलग विषयों के कई शिक्षक नहीं होने से उन लोगों की कई विषयों की पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है।
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बच्चों की संख्या है, पर पढ़ाने वाले कम
विद्यालय के वर्ग एक में 26 , दो में 29, तीन में 23, चार में 28, पांच में 50 छह में 26, सात में 27 कुल 244 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। विद्यालय में कुल तीन शिक्षक पदस्थापित हैं, जिनमें एक अवकाश पर हैं। विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि एक शिक्षक की कमी रहने के कारण परिणामस्वरूप इन कक्षाओं का संचालन एक साथ लेना पड़ रहा है।
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कोट - शिक्षक की संख्या कम होने से सभी विषयों की पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है। बेंच-डेस्क का अभाव है, इसके लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। विभाग कि और से तत्काल बच्चों को दरी की व्यवस्था कराई गई है।
-अरविद कुमार , प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय सराधी