श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से धुंधकारी को मिली थी प्रेत योनि से मुक्ति : स्वामी चतुरानंद
मुंगेर । श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही गोकर्ण के भाई प्रेतात्मा धुंधकारी को प्रेत योनि से मुि
मुंगेर । श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही गोकर्ण के भाई प्रेतात्मा धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली थी। पितृ व प्रेतों की मुक्ति का भागवत ही सबसे सशक्त माध्यम है। प्राणी मात्र के प्रति प्रेम, करुणा, दया व मैत्री भाव रखने से परमात्मा शीघ्र प्रसन्न होते हैं। परमात्मा को प्रसन्न करने का सहज उपाय भागवत में बताया गया है। उक्त बातें हवेली खड़गपुर प्रखंड अंतर्गत पहाड़पुर गांव स्थित संतमत सत्संग मंदिर परिसर में सत्संगी निरंजन सिंह के असामयिक निधन पर आयोजित संतमत सत्संग में कथावाचक सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के शिष्य स्वामी चतुरानंद जी महाराज जी ने कही। उन्होंने गोकर्ण कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही गोकर्ण के भाई प्रेतात्मा धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली थी। भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। संतमत सत्संग की शुरुआत मंजीत बाबा ने संत स्तुति एवं ग्रंथ पाठ से किया । संचालन हरि किशोर सिंह ने किया। कथा के दौरान बीच बीच में भजन की प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। कथा में प्रेमानंद बाबा, गुरुदेव बाबा, दयानंद बाबा, रतन बाबा, नंदजी महाराज, योगेंद्र बाबा, उत्तम बाबा, ज्ञानी बाबा, अनुभव बाबा मौजूद थे।