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मॉक ड्रिल : मालगाड़ी की चपेट में आया वाहन, पांच की मौत

मुंगेर। रात के 10.20 बजे थे। इस बीच एक-एक कर रेलवे के सायरन बजने लगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jan 2018 02:56 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jan 2018 02:56 AM (IST)
मॉक ड्रिल : मालगाड़ी की चपेट में आया वाहन, पांच की मौत
मॉक ड्रिल : मालगाड़ी की चपेट में आया वाहन, पांच की मौत

मुंगेर। रात के 10.20 बजे थे। इस बीच एक-एक कर रेलवे के सायरन बजने लगे। सायरन की आवाज सुनकर जमालपुर लौहनगरी कांप उठी। किसी बड़ी रेल दुर्घटना की आशंका से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। क्वार्टरों में रहने वाले रेलकर्मी और स्थानीय लोग स्टेशन की तरफ दौड़ पड़े। कई ने पूछताछ की ओर रुख किया तो कोई रेलवे के दफ्तरों में फोन करने लगे। सूचना मिली की साफियादबाद मानवरहित फाटक के पास मालगाड़ी और वाहन में जबरदस्त टक्कर हो गई है। इसमें पांच की मौत हो गई। यह सूचना अग्रसारित होते ही जिले की पुलिस और पूरा रेल महकमा घटनास्थल के लिए दौड़ पड़े। 10.30 बजे रिलिफ ट्रेन के साथ पूरी मेडिकल टीम भी रवाना हो गई और दस मिनट में घटनास्थल पर पहुंचे। यह कोई रेल हादसा नहीं बल्कि मॉक ड्रिल था।

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शुक्रवार की रात 10 बजे मालदा मंडल के सीनियर डीओएम राजेश कुमार सेफ्टी अधिकारी के साथ लाइट इंजन से मुंगेर लाइन पर पटरी जांच करने के लिए निकले थे। दस मिनट बाद सफियासराय पहुंचते ही उन्होंने जमालपुर स्टेशन को मालगाड़ी और वाहन में टक्कर में पांच के मरने और दो के घायल होने की सूचना दी। सूचना के महज बीस मिनट बाद रिलिफ ट्रेन से मेडिकल और अन्य कर्मी पहुंचे। जहां पहुंचने पर मालूम चला कि यह कोई एक्सीडेंट नहीं बल्कि मॉक ड्रिल था।

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मॉक ड्रिल में सभी ने दिखाई सतर्कता :

मॉक ड्रिल के दौरान रेल मंडल के विभिन्न विभागों ने अपनी सतर्कता दिखाई। रेलवे अस्पताल के डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी घटना की सूचना पाकर तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गए थे। वहीं, इंजीनिय¨रग, मैकेनिकल, सिग्नल एंड टेली कम्यूनिकेशन, कॉमर्शियल आदि विभागों के कर्मचारी पहुंच बचाव में जुट गए थे।

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कर्मचारियों की जांची गई सतर्कता :

रेल दुर्घटना के दौरान बरते जानेवाले तमाम उपाय, कर्मचारियों की सतर्कता, रिलीफ ट्रेन की स्थिति, घायलों को अस्पताल पहुंचाने, सहायता पहुंचाने को लेकर मॉक ड्रिल किया गया। इस प्रकार का अभ्यास रेलवे द्वारा बीच-बीच में किया जाता है।

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क्यों बजाए जाते हैं सायरन :

रेलवे में किसी प्रकार की घटना होने पर सायरन बजाकर संबंधित विभाग के कर्मचारियों को जानकारी दी जाती है। वहीं, संबंधित विभाग के कर्मचारी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में पहुंचते हैं। रेल हादसा होने पर एक सायरन बजाया जाता है।


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