यात्री और सामानों की नहीं होती जांच, कुछ भी लेकर ट्रेनों में जाएं
मुंगेर। मॉडल स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा भगवान के भरोसे है। यहां यात्रियों और सामानों के जांच की कोई सुविधा नहीं है।
मुंगेर। मॉडल स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा भगवान के भरोसे है। यहां यात्रियों और सामानों के जांच की कोई सुविधा नहीं है। कुछ भी लेकर प्लेटफॉर्म पर जा सकते है। ट्रेन में सवार हो सकते हैं। कुछ ऐसा ही हाल स्टेशन की है। नक्सली बंद या देश मे आतंकी घटना के बाद स्टेशन और प्लेटफार्म की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है। लेकिन एक दो दिनों के बाद स्थिति जस की तस दिखने लगती है। गुरुवार को स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। स्टेशन की सुरक्षा पूरी तरह लचर दिखी। यहां न तो यात्रियों को चेक किया जा रहा था न इनकी सामानों को। यात्री आराम से आते जाते रहे। स्टेशन पर रोजाना 42 पेयर किऊल सेक्शन और तीन जोड़ी गाड़ियों का परिचालन खगड़िया-बेगूसराय सेक्शन पर होता है। रेलवे के अनुसार करीब 80 हजार यात्रियों का आना-जाना होता है। इसमें से कभी भी एक भी यात्रियों की जांच नहीं होती है। जब कुछ घटनाएं होती है तभी आरपीएफ सजग होती है। नतीजतन ट्रेन और प्लेटफार्म की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। वर्तमान में जीआरपी के पास दो और आरपीएफ के पास छह हैंड मेटल डिटेक्टर है। डोर व् हैंड डिटेक्टर पर 80 हजार यात्रियों की जांच की जिम्मेवारी है। स्टेशन पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम तो दूर मुख्य द्वार लगे मेटल डिटेक्टर तक चालू महीनों से बंद है। यात्रियों के सामान की एक्सरे जांच की भी व्यवस्था नहीं है। यहां से दर्जनों गाड़ियां आती-जाती हैं और हजारों लोगों की भीड़ यहां होती है। ऐसे में कोई भी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते है। प्लेटफार्म पर पहुंचने के लिए दो प्रवेश द्वार हैं।
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बॉक्स।
कुछ माह पहले ही में पकड़े गए हैं हथियार : नियमित चे¨कग न होने का शरारती तत्व फायदा आराम से फायदा उठा रहे हैं। हाल ही में ट्रेन से अवैध अर्द्धनिर्मित हथियार के साथ कुछ बदमाश ट्रेन में सवार हो गए थे। लेकिन उस दिन ट्रेन में जीआरपी ने अचानक चे¨कग शुरू कर दी और सभी को दबोच लिया। इससे पहले भी कई लोग अवैध हथियार के साथ पकड़े जा चुके हैं।
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आदेश के बाद नहीं लग सका सीसीटीवी कैमरा : यात्री और ट्रेनों में सुरक्षा को देखते हुए मॉडल स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद भी कैमरा नहीं लग सका। पोर्टिकों, प्लेटफॉर्म पर कैमरा लगाने की योजना थी। लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका।
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कोट
स्टेशन और ट्रेनों में चे¨कग की जाती है। डॉग स्क्वायर्ड की भी मदद ली जाती है। ट्रेनों में स्कॉर्ट के दरम्यान शक पर लोगों से पूछताछ और उनकी सामानों को जांच किया जाता है।
कृपा सागर - रेल थाना प्रभारी, जमालपुर
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कोट
ट्रेनों और यात्रियों की जांच की जाती है। मेटल डिटेक्टर से सामानों को भी चेक किया जाता है। सीसीटीवी कैमरे से स्टेशन पर यात्रियों की हर मूवमेंट पर नजर रखी जाती है।
ईश्वर प्रसाद यादव, सहायक सुरक्षा आयुक्त,आरपीएफ,जमालपुर