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शेखपुरा में गबन मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित

मुंगेर। डीआइजी शफीउल हक ने 2017 में शेखपुरा के पुलिस विभाग से 58 लाख रुपये के गबन मामले म

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 09:43 PM (IST)
शेखपुरा में गबन मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित
शेखपुरा में गबन मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित

मुंगेर। डीआइजी शफीउल हक ने 2017 में शेखपुरा के पुलिस विभाग से 58 लाख रुपये के गबन मामले में चार पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया। साथ ही शेखपुरा एसपी को आरोपित पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने के निर्देश दिया।

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डीआइजी ने बताया कि 2017 में शेखपुरा के पुलिस विभाग में 58 लाख रुपये का गबन हुआ था। इस मामले में 2018 में शेखपुरा थाना कांड संख्या 719/18 दर्ज करते हुए सात लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था। इसमें पुलिस ऑफिस का एकाउंटेंट मंटू कुमार, हवलदार मु. शकील, सिपाही जितेंद्र सिन्हा, सुमित्रा, संजीत सिंह, सहदेव चौधरी और देवधारी यादव को नामजद आरोपित बनाया गया था। पुलिस जांच के क्रम में एकाउंटेंट मंटू कुमार, हवलदार मु. शकील और सिपाही जितेंद्र सिन्हा को दोषी पाते हुए मंटू कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके साथ ही तीनों पर विभागीय कार्रवाई के लिए प्रस्ताव विभाग भेजा गया। इस दौरान विभाग द्वारा हवलदार मु. शकील और सिपाही जितेंद्र सिन्हा को सजा के तौर पर 03-03 ब्लैक मार्क दिया गया, जबकि मंटू कुमार का विभागीय कार्रवाई लंबित है। डीआइजी इन दोनों के विभागीय कार्रवाई से भी संतुष्ट नहीं है। इसी कारण दोनों के विभागीय कार्रवाई की फाइलों का डीआइडी द्वारा दोबारा समीक्षा किया जाएगा, ताकि दोषी पुलिस कर्मियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।

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डीआइजी ने की मामले की समीक्षा

डीआइजी ने 20 फरवरी 2021 को गबन मामले की समीक्षा की। समीक्षा के क्रम में पाया कि इसमें सिर्फ तीन पुलिस कर्मी ही दोषी नहीं हैं। इस कांड के जितने भी नामजद आरोपी हैं, सभी लोग दोषी हैं। इसी कारण डीआइजी ने चार सिपाही को इस मामले में दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया और एसपी को विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डीआइजी ने बताया कि हवलदार मु. शकील के खाते में 49 बार पैसे का लेनदेन किया गया है। जिसकी राशि 23 लाख रुपये है। जबकि जितेंद्र सिन्हा के खाते में 42 बार लेनदेन किया गया है। जिसकी राशि 18 लाख 50 हजार रुपये है। देवधारी के खाते में सात बार लेनदेन किया गया है। इसकी राशि 03 लाख 50 हजार रुपये है। सुमित्रा के खाते में छह बार लेनदेन किया गया है। जिसकी राशि 02 लाख 50 हजार रुपये है। संजीत के खाते में पांच बार लेनदेन किया गया है। जिसकी राशि दो लाख रुपये है और सहदेव चौधरी के खाते दो बार लेनदेन किया गया है। जिसकी राशि 01 लाख 25 हजार रुपये है।

डीआइजी ने बताया कि मंटू कुमार पुलिस कार्यालय के अकाउंट ऑफिस में अकाउंटेंट के पद पर तैनात था। जहां पुलिस कर्मियों को वेतन भेजने के मामले में फर्जीवाड़ा करता था। मामले की जांच के बाद सिपाही देवधारी सिंह, महिला सिपाही सुमित्रा देवी, सिपाही संजीत कुमार सिंह, सिपाही सहदेव चौधरी को डीआइजी ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।


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